- तूफान और लॉकडाउन की वजह से मलिहाबाद में आम की फसलों का हुआ नुकसान
- अपने आम उत्पादन के लिए जाना जाता है मलिहाबाद, यहां के आम की मांग अधिक
- यहां के बगीचों को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं, दशहरी आम यहां की खासियत
लखनऊ : आम को फलों का राजा कहा जाता है। कोई ऐसा शायद ही होगा कि जिसे आम खाना पसंद न हो। देश के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाने वाली आम की विभिन्न प्रजातियां हैं और सबकी अपनी खासियत है। इनमें लखनऊ के पास स्थित मलिहाबाद अपने आमों के लिए जाना जाता है। यहां के बगीचों में तरह-तरह के आम लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। अपनी खूशबू एवं मिठास के चलते यहां के आम अपनी विशेष जगह रखते हैं। देश और विदेश में यहां के आम की खासी मांग रहती है लेकिन लॉकडाउन और मौसम की बेरुखी के चलते यहां के किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।
लॉकडाउन और मौसम की बेरुख की चलते आम उगाने वाले किसान परेशान हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के चलते आम की फसल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। साथ ही तूफान आने से उनके बगीचों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। बाजार बंद होने से छिड़काव के लिए उन्हें जरूरी कीटनाशक भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। किसानों का कहना है कि उनके आम का मात्र 25 फीसदी इस्तेमाल हो पा रहा है। ऐसे में उनके ऊपर संकट आ गया है।
मलिहाबाद में आम की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि लॉकडाउन एवं तूफान की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक किसान का कहना है, 'लॉकडाउन लागू होने के चलते हम आम की फसल पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं कर पा रहे हैं। बगीचों से निकलने वाले आम का 25 प्रतिशत ही उपयोग हो पा रहा है।'
मलिहाबाद की खास पहचान अपने दशहरी आम के लिए भी है। यहां सैकड़ों आम के बगीचे हैं। गर्मी का मौसम आते ही इन बगीचों में गहमागहमी तेज हो जाती है। यहां के बगीचों में लगने वाले आम को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
कहा जाता है कि मलिहाबाद में दशहरी आम के बाग नवाबी दौर में लगे थे। आम की खेती के लिए यहां के कलीम उल्लाह की पहचान विशेष रूप से है। आम के प्रति इनके लगाव को देखते हुए इन्हें 'मैंगो मैन' के नाम से भी बुलाया जाता है। कलीम उल्लाह को एक पेड़ में आम की करीब 300 प्रजातियां उगाने का श्रेय जाता है।