- राजा ललितादित्य ने सातवीं और आठवीं शताब्दी के बीच में मार्तंड मंदिर का निर्माण कराया था।
- कश्मीर के प्रसिद्ध कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में मार्तंड मंदिर का जिक्र मिलता है।
- कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित मार्तंड मंदिर अपनी वास्तुकला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध था।
Kashmir Files:फिल्म द कश्मीर फाइल्स इन दिनों कश्मीर पंडितों के साथ 1989-90 के दौरान हुए अत्याचार को लेकर चर्चा में है। फिल्म में कश्मीर में हिंदू धर्म के प्रतीकों के बारे में भी चर्चा है। इसी सिलसिले में कश्मीर के प्रसिद्ध मार्तंड मंदिर का भी जिक्र है। जो कि फिलहाल खंडहर हो चुका है। और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पास है। मंदिर के खंडहर ही उसके गौरवशाली इतिहास की कहानी बयान करते हैं।
उत्तर भारत का इकलौता सूर्य मंदिर
मौजूदा समय भारत में कोर्णाक के सूर्य मंदिर और गुजरात के मोढेरा सूर्य मंदिर की सबसे ज्यादा चर्चा होती है। लेकिन एक समय कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित मार्तंड मंदिर अपनी वास्तुकला और भव्यता के लिए प्रसिद्ध था। मंदिर परिसर में 84 खंभे हैं और इसका चबूतरा 220 फुट लंबे और 142 फुट चौड़ा है। और उस पर मुख्य मंदिर 63 फुट लंबा और 13 फुट चौड़ा है।
करीब 1400 साल पुराना मंदिर
भगवान सूर्य की उपासना के लिए यह मंदिर कारकोट वंश के राजा ललितादित्य मुक्तापीड ने बनवाया था। जिसका जिक्र कश्मीर के प्रसिद्ध कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में मिलता है। ऐसा माना जाता है कि राजा ललितादित्य ने सातवीं और आठवीं शताब्दी के बीच में मार्तंड मंदिर का निर्माण कराया था। कश्मीरी लेखक चंदर एम. भट्ट के लेख के अनुसार मार्तंड मंदिर का उल्लेख तुजुक-ए-जहांगीरी और मार्तंडमहात्य में भी किया गया है। मंदिर की वास्तुकला और इंजीनियरिंग में चीन, रोमन, ग्रीक और भारतीय शैली की अनूठी झलक भी देखने को मिलती है।
सिकंदर शाह मीरी ने तोड़ा
भट्ट अपने लेख में लिखते हैं कि मार्तंड मंदिर को कश्मीर में शाह मीरी वंश के शासक सिकंदर शाह मीरी ने तोड़ा था। सिकंदर, शाह मीरी वंश का छठा शासक था। और वह 1389 ईसवीं में राजा बना था। और उसका शासन 1413 ईसवी तक रहा। ऐसे में मार्तंड मंदिर को इस दौरान ही तोड़ा गया होगा। हालांकि मंदिर के तबाह होने की एक और वजह भूकंप भी बताई जाती है। जिससे भी मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा और पिछले 700 साल में यह खंडहर में तब्दील हो गया है।
जम्मू और कश्मीर में ये हैं प्रमुख हिंदू धर्म के प्रतीक
अमरनाथ गुफा: अमरनाथ लोगों की आस्था का केंद्र है। पौराणिक कथा है कि कश्मीर में बसी इस जगह पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर होने की सुनाई थी। अमरनाथ यात्रा आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने चलती है।
खीर भवानी मंदिर : खीर भवानी जिन्हें कश्मीर की देवी भी कहा जाता है। इस मंदिर में मां खीर भवानी को केवल खीर का ही भोग लगाया जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि रावण खीर भवानी देवी का परम भक्त था।
वैष्णो देवी: जम्मू के कटरा शहर में स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर है जो त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। यहां माता सरस्वती, लक्ष्मी और महाकाली पिंडी रूप में विराजमान हैं।
-आदि गुरू शंकराचार्य का भी कश्मीर से कनेक्शन रहा है। इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने 8-9 वीं शताब्दी में कश्मीर की यात्रा की थी।