- उत्तर प्रदेश सरकार अपने यहां निजी मदरसों का सर्वे कराने जा रही है
- सर्वे टीमें पांच अक्टूबर से सर्वे का काम शुरू करेंगी, रिपोर्ट 25 अक्टूबर तक देंगी
- मदरसों के सर्वे पर सियासत गरम हो गई है, मौलाना सर्वे का विरोध कर रहे हैं
UP Madrassa survey : उत्तर प्रदेश में निजी मदरसों के सर्वे कराए जाने के राज्य सरकार के फैसले पर मौलाना साजिश रशीदी ने विवादित बयान दिया है। रशीदी ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। रशीदी ने कहा है कि सरकार निजी मदरसों का सर्वे कराने की बात कह रही है। मौलाना ने कहा कि वह मदरसों से अपील करते हैं कि नोटिस लेकर आने वाले सर्वे टीम का वे स्वागत 'चप्पल-जूते' से करें। वे सर्वे टीम को 2009 का कानून भी दिखाएं। मौलाना के इस बयान पर यूपी सरकार के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
पूर्व मंत्री ने कार्रवाई की बात कही
रजा ने कहा कि रशीदी जैसे लोगों के इस तरह के बयान छात्रों एवं मदरसों को भड़काने वाले हैं। सरकार सर्वे के जरिए मदरसों का भला करना चाहती है लेकिन इस तरह के बयान जब आते हैं तो सरकार को कड़ा रुख अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ता है। रजा ने कहा कि इस तरह के बयान के लिए रशीदी पर कार्रवाई होगी। उन्होंने अधिकारियों से बात की है। राशिद जैसे लोग यदि इस तरह के बयान दे रहे हैं तो सर्वे तो बहुत जरूरी हो गया है।
पांच अक्टूबर से होगा निजी मदरसों का सर्वे
राज्य में मदरसों की हालत में सुधार एवं उनके आधुनिकीकरण की मंशा से योगी सरकार निजी मदरसों को सर्वे कराने जा रहा है। सर्वे के लिए राज्य में 10 टीमें बिनाई जा रही हैं। ये सर्वे टीमें पता लगाएंगी कि मदरसे मान्यता प्राप्त हैं कि नहीं। इसके अलावा मदरसे को चलाने वाली संस्था कौन सी है, मदरसे को कबसे चलाया जा रहा है, मदरसे की आमदनी कहां से हो रही है, मदरसे की इमारत अपनी है या किराये की, मदरसों में छात्र-छात्राओं की संख्या कितनी है, मदरसों में छात्रों को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं, मदरसे में टीचरों की संख्या कितनी है, इन सारी बातों का पता लगाया जाएगा। टीम अपना काम 5 अक्टूबर से शुरू करेगी और 25 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
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जकात से मदरसों को मिलती है बड़ी राशि
एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में मदरसा को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। दावा है कि मदरसों को करीब दस हजार करोड़ रुपए डोनेशन के जरिए मिले लेकिन हैरानी की बात ये है कि मदरसा के बच्चों के खाने पर खर्च पचास फीसदी कम हो गया है। ऐसे में सवाल है कि आखिर पैसा जा कहां रहा है। मदरसों को सबसे ज्यादा डोनेशन जकात के जरिए मिली। जकात का मतलब होता है इस्लाम में आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है उसका 2.5 फीसदी हिस्सा किसी जरूरतमंद को देना अनिवार्य है।