लखनऊ : देशभर में राष्ट्रीय नागरिकता पंजीयन (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने कुछ दलों पर 'निजी स्वार्थ' के लिए धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग भूल रहे हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है।
मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है, जबकि देशभर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच बीजेपी और अन्य विपक्षी दल आमने-सामने हैं। उन्होंने कहा, 'कुछ पार्टियां अपने निजी फायदे के लिए राजनीति कर रही हैं, पर उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। देश में शांति और सौहार्द बरकरार रहना चाहिए।'
यूपी की पूर्व सीएम ने देशवासियों को नए साल की शुभकामना भी दी और इस क्रम में बीजेपी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि इनकी सांप्रदायिक सोच के कारण ही आज देश में अशांति और अराजकता का माहौल है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी और आरएसस भारत की लगभग 130 करोड़ आबादी को भारतीय मानने के बजाय हिंदू मानती है, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण देशवासियों को भारतीय मानने की नीयत और नीति से ही देश का भला हो सकता है और सभी को इसी दिशा में सोचने की आवश्यकता है। बसपा प्रमुख ने जोर देकर कहा कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी के जरिये देशभर में अशांति पैदा किए जाने का षड्यंत्र किया जा रहा है, ताकि 'संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ' की पूर्ति की जा सके।