नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक अस्पताल ने अखबार में एक ऐसा विज्ञापन देकर लोगों से अपील की जिसे लेकर कई सवाल खड़े हो गए। अब उस अपील के लिए अस्पताल को स्पष्टीकरण देकर माफी मांगनी पड़ी है। इस विज्ञापन में कोरोना वायरस के प्रसार पर समुदायों को टारगेट किया गया, जिसके लिए अस्पताल ने माफी मांगी है। हालांकि मेरठ पुलिस ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि उनके द्वारा प्रकाशित माफी के बावजूद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है क्योंकि इसने स्थिति को सांप्रदायिक बनाने और इसमें शामिल समुदायों की भावनाओं को आहत करने की कोशिश की।
मेरठ के वेलेन्टिस कैंसर अस्पताल ने इस विज्ञापन में आरोप लगाया कि तब्लीगी जमात के सदस्यों सहित मुस्लिम समुदाय के कई लोग स्वास्थ्य संबंधी सलाह का पालन नहीं कर रहे हैं, पुलिस और चिकित्सा टीमों पर हमला कर रहे हैं और कोरोना वायरस फैला रहे हैं। इसलिए अस्पताल ने मुस्लिम मरीजों और उनके अटेंडेंट्स को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने से पहले कोरोना वायरस की नेगेटिव रिपोर्ट हासिल करना अनिवार्य कर दिया। इतना ही नहीं इस विज्ञापन में बहुसंख्यक हिंदुओं और जैनियों में कई को 'कंजूस' भी कहा गया और उनसे पीएम केयर्स फंड में योगदान देने का आग्रह किया।
अब अस्पताल ने स्पष्टीकरण देकर कहा कि हिंदू/जैन धर्म से जुड़े कुछ लोगों को वेलेन्टिस अस्पताल द्वारा कल प्रकाशित सूचना व आग्रह से ठेस पहुंची है। त्रुटिवश कुछ गलत संदेश चला गया जिसका हम खंडन करने के साथ खेद व्यक्त करते हुए क्षमा मांगते हैं। हमारी भावना इस वैश्विक आपदा में सभी धर्मों (मुस्लिम, हिंदू, जैन, सिख, ईसाई) के लोगों के साथ मिलकर लड़ने का आग्रह करने की रही है। किसी को ठेस पहुंचाने की हमारी मंशा कभी नहीं रही। अगर हिंदू/मुस्लिम/जैन/सिख/ईसाई समाज में किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो हम दिल से खेद व्यक्त करते हैं।
इससे पहले के विज्ञापन में अस्पताल की तरफ से कहा गया, 'तब्लीगी जमात से जुड़े कुछ विदेशी एवं भारतीय लोगों के देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर छिपे रहने से कोरोना संक्रमण की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है एवं मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तब्लीगी जमात से जुड़े कुछ लोगों की उपचार के दौरान चिकित्सकों-नर्सों एवं अस्पताल कर्मियों के साथ अभद्रता के मामले बढ़ते जा रहे हैं।'
इसमें कहा गया कि तब्लीगी जमात के लोगों के पूरे देश में फैलने से मुस्लिम समाज में भी तेजी से कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है। वहीं संक्रमित लोगों की जांच के लिए जा रहे स्वास्थ्य कर्मियों व पुलिस के साथ अमर्यादित व्यवहार किया जा रहा है। हमारे यहां भी कई मुस्लिम रोगी नियमों व निर्देशों का पालन नहीं कर रहे। इसलिए मुस्लिम रोगी और तिमारदार कोरोना की जांच कराने और नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही अस्पताल आएं। यह नियम मुस्लिम चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ, जज, पुलिस, अफसर, शिया एवं अन्य मुस्लिम भाइयों (जो घनी मुस्लिम आबादी में ना रहते हों) पर लागू नहीं होगा। एक जगह इसमें कहा गया, 'हम आर्थिक रूप से संपन्न हिंदू/जैन परिवारों जिनमें अधिकांश कंजूस है से भी आग्रह करते हैं कि पीएम केयर्स फंड में सहयोग राशि देकर इस आपदा के समय देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दें।'
इस विज्ञापन की कई बातों को बेहद आपत्तिजनक कहा जा सकता है। आप इस विज्ञापन और उसके बाद अस्पताल के स्पष्टीकरण दोनों को ध्यान से पढ़ें।