नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन के बीच सरकार ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) लागू करने को लेकर केंद्र ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही, जो आधिकारिक तौर पर इस संबंध में सरकार का इस तरह का कोई पहला बयान है।
इससे पहले बीजेपी नेताओं की ओर से जनसभाओं में और मीडिया में इस तरह के बयान आते रहे हैं कि सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी लागू करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है और विपक्ष इस बारे में केवल भ्रम फैला रहा है। यह पहली बार है, जब संसद में सरकार की ओर से इस पर लिखित जवाब आया है। अब सवाल है, क्या देशभर में सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शनों का दौर समाप्त होगा?
सरकार की ओर से यह लिखित आश्वासन ऐसे समय में आया है, जबकि सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले लगभग दो महीने से प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के कई अन्य हिस्सों में भी इसके खिलाफ लगातार विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है। उनका विरोध राष्ट्रीय जनसंख्या पंजीयन (एनपीआर) को लेकर भी है, जिसके तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
क्यों हो रहा एनपीआर का विरोध?
इसके लिए घर-घर जाकर जनगणना की जाएगी, जिसमें देश के हर नागरिक को जानकारी दर्ज कराने को कहा गया है। इसमें जनसंख्या के आंकड़ों के साथ-साथ हर नागरिक की बायोमीट्रिक जानकारी भी दर्ज होगी। आधार कार्ड की तरह इसमें भी आंखों की रैटिना और फिंगर प्रिंट लिए जाएंगे। विपक्ष का आरोप है कि सरकार का अगला कदम अब नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस (NRIC) यानी देशव्यापी एनआरसी होगा।
विपक्ष के कई नेताओं ने सीएए, एनपीआर को राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी लागू करने की 'क्रोनोलॉजी' बताया है और कहा है कि एनपीआर के जरिये सरकार वास्तव में राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी लागू करने के लिए डेटाबेस तैयार कर रही है। दिसंबर में पीएम मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए यह आश्वासन दिया था कि राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी लागू करने की कोई बात नहीं है।
सीएए पर पीएम दे चुके हैं आश्वासन
उन्होंने यह भी कहा था सीएए का देश की 130 करोड़ आबादी से कोई लेना-देना नहीं है और यह किसी की नागरिकता छीनने वाला नहीं है। हालांकि विपक्ष ने इसे लेकर लगातार सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया और कहा कि इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह के बयानों में अंतर है, जिन्होंने सीएए पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कहा था कि जब एनआरसी आएगा तो देश में एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा।
विपक्ष इसे लेकर लगातार सरकार के खिलाफ हमलावर रहा है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व जनसभा में तो इस पर बोल रहा है, लेकिन सरकार की ओर से इस बारे में कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया गया है। अब सरकार ने इस पर लोकसभा में लिखित आश्वासन दिया है, जिसके बाद ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या अब प्रदर्शनों का दौर समाप्त हो जाएगा?
सीएए को लेकर लोगों में क्या है डर?
सीएए को लेकर देश के मुसलमानों में यह डर है कि नागरिकता साबित करने के लिए उनसे पूर्वजों के दस्तावेज मांगे जाएंगे और अगर वे इसे दिखाने में नाकाम रहे तो उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जा सकता है, जबकि किसी अन्य धर्म के लोग खुद को धार्मिक उत्पीड़न का शिकार बताकर इस देश की नागरिकता आसानी से पा लेंगे। सीएए का विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि यह कानून धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है और संविधान के मूल सिद्धांतों के भी खिलाफ है।