- कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित इटली से अपनी बेटी की सुरक्षित वापसी के बाद एक शख्स मोदी सरकार का मुरीद हो गया है
- उन्होंने कहा, 'मुझे लगता था कि सिर्फ मैं ही अपनी बेटी का पिता हूं, लेकिन अब पता चला कि मोदी सरकार मेरी बेटी के दूसरे पैरेंट्स हैं
- उन्होंने विदेशों में फंसे अन्य छात्रों और उनके अभिभावकों से भी कहा कि घबराएं नहीं, भारतीय दूतावास सबका बच्चों की तरह ख्याल रख रहा है
नई दिल्ली : कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए भारत सरकार जिस मुस्तैदी के साथ पेश आ रही है, उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है। यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस दिशा में भारत के प्रयासों की सराहना की है। ऐसे लोगों में मुंबई का एक शख्स भी है, जिनकी बेटी इटली के मिलान शहर में मास्टर्स की पढ़ाई के लिए गई थी, लेकिन उसके वहां पहुंचने के कुछ ही दिनों बाद इस जानलेवा संक्रमण ने यूरोप के इस देश को अपनी गिरफ्त में लिया, जिससे भारत में रह रहा उसका परिवार चिंता में डूब गया था।
'मोदी सरकार मेरी बेटी के दूसरे पैरेंट्स'
अब उसके पिता ने इस पूरे मामले में केंद्र सरकार की तारीफों के पुल बांधते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को 'पिता तुल्य' बताया है। मुंबई के रहने वाले इस शख्स का नाम सुजय कदम है, जिन्होंने इस दिशा में सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, 'मुझे लगता था कि केवल मैं ही अपनी बेटी का पिता हूं, लेकिन अब मुझे पता चला कि मोदी सरकार मेरी बेटी के दूसरे अभिभावक हैं। प्रधानमंत्री को धन्यवाद...।'
सरकार को लेकर बदल गई धारणा
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कई वर्षों से वह सरकार की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन अब उनकी पूरी धारणा बदल चुकी है। भारत सरकार ने पिता की तरह भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी 4 फरवरी को इटली के मिलान गई थी, लेकिन वहां कोरोना वायरस के कारण उसका कॉलेज बंद हो गया। 28 फरवरी को उसने बताया कि सबकुछ ठीक है और चार माह के लिए रेंट एग्रीमेंट भी साइन हो गया। लेकिन 10 मार्च को वहां सबकुछ बंद हो गया। यहां तक कि सुपर मार्केट्स भी बंद कर दिए गए।
दूतावास से आया फोन तो हुई हैरानी
हालात की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने बेटी को घर लौट जाने की सलाह दी। लेकिन तब तक इटली सरकार भारत लौटने की इच्छा रखने वाले हर शख्स से प्रमाण-पत्र की मांग करने लगी थी। बुरी तरह परेशान सुजय ने 12 मार्च को इटली स्थित भारतीय दूतावास को एक SOS मेल भेजा, जिसका अगले ही दिन जब उन्हें बेटी ने बताया कि दूतावास से फोन आया तो वह हैरान रह गए। दरअसल, उन्हें इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि इटली स्थित भारतीय दूतावास इतनी जल्दी उनके मेल पर जवाब देगा। फोन पर उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी 14 मार्च को भारत लौटेगी।
'अपने बच्चों की तरह ख्याल रख रहा दूतावास'
उन्होंने बताया किउनकी बेटी 15 मार्च को भारत लौटी, जिसके बाद उसे आईटीबीपी के अस्पताल में क्वारंटीन में रखा गया। वहां सरकार ने दवा से लेकर खाने-पीने तक का पूरा ख्याल रखा, जैसे एक पिता अपने बच्चों की देखभाल करता है। बेटी की सुरक्षित वापसी से खुश सुजय ने भारतीय दूतावास के कर्मचरियों, एयर इंडिया के क्रू मेंबर्स और आईटीबीपी अस्पताल के कर्मचारियों को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह स्वेच्छा से पीएम मोदी के लिए काम करेंगे। उन्होंने विदेशों में फंसे अन्य छात्रों और उनके अभिभावकों से भी कहा कि वे घबराएं नहीं, भारतीय दूतावास सभी देश के नागरिकों का अपने बच्चों की तरह ख्याल रख रहा है।