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DARONAVIRUS: बहुत हुआ 'कोरोना वायरस' ये नेताजी अब लाए 'डरो ना वायरस' 

Updated Feb 06, 2020 | 17:13 IST

चीन में फैले कोरोना वायरस की बेहद चर्चा हो रही है वहीं भारत के तेलगांना राज्य के कांग्रेस नेता नेता का कहना है कि 'डरो ना वायरस' खूंखार वायरस है जो बीजेपी फैला रही है।

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मोहम्मद सलीम का कहना है कि नागपुर इस खूंखार वायरस का एपीसेंटर है

नई दिल्ली: कोरोना वायरस की विभीषका से चीन के साथ और देश भी प्रभावित हैं इसके इतर भारत के राजनीतिज्ञ हर चीज में राजनीति ढूंढ लेते हैं ऐसे ही तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव मोहम्मद सलीम कोरोना वायरस से मिलता हुआ एक 'डरो ना वायरस' (DARONAVIRUS) सामने लाए हैं। सलीम का कहना है कि ये बेहद खूंखार वायरस है जो बीजेपी फैला रही है।

बीजेपी इसे CAA / NPR / NRC के माध्यम से फैला रही है और भारत इस समय बीजेपी द्वारा फैलाए सबसे खतरनाक और 'डरो ना वायरस' नामक खतरनाक वायरस से पीड़ित है। नागपुर इस खूंखार वायरस का एपीसेंटर है। 'डरो ना वायरस' की कोशिकाएं इतनी शक्तिशाली हैं कि जो देश के प्यार, एकता, स्वतंत्रता, भाईचारे, समृद्धि और विकास पर हावी हो गई है।

यह वायरस अलग-अलग रूपों में फैला हुआ है, 2014 में असहिष्णुता के साथ शुरू हुआ, फिर घरवापसी, बीफ बैन, मॉब लिंचिंग, लोगों को जबरन वंदे मातरम बुलबाना, जय श्री राम, इसके बाद ट्रिपल तलाक, धारा 370 और अब सीएए। यह बहुसंख्यक समुदाय में हिंदुत्व के एजेंडे को उकसाकर राज्य और राष्ट्रीय चुनाव जीतने की एक चुनावी रणनीति है। 

'ये वायरस समय-समय पर अपनी खतरनाक कोशिकाओं को बदल रहा है'
जो देश के विकास के खिलाफ है और संरक्षण और मानवता के खिलाफ है। वायरस विभाजनकारी ताकतों का प्रकोप है, जो देश में भौगोलिक और लोकतांत्रिक प्रकृति से राज्य के चुनावों के लिए समय-समय पर अपनी खतरनाक कोशिकाओं को बदल रहा है। किसी समुदाय विशेष के खिलाफ जहर उगलने से लोगों में नफरत फैलाने के लिए यह प्रक्रिया लगभग 100 साल पहले शुरू हुई थी। 

भाजपा और संघ परिवार का मुख्य एजेंडा लोगों का ध्यान आर्थिक आपदा, सकल घरेलू उत्पाद की गिरावट, आर्थिक विकास, बेरोजगारी का बढ़ना, उद्योगों को बंद होना, रुपये के मूल्य में गिरावट, पीएसयू की बिक्री, महिलाओं की सुरक्षा, दलितों और अल्पसंख्यकों की असुरक्षा से हटाने का है। हर कोई तब से पीड़ित है, जबसे मोदी पीएम बने, किसान, जवान, व्यापारी, मजदूर, महिलाएं, बच्चे, छात्र आदि सभी पीड़ित हैं। 

'मोदी-शाह अपने किए वायदों को पूरा करने में हुए फेल'
मोदी-शाह 2014 और 2019 के चुनावों में, काले धन को वापस लाने , भ्रष्टाचार खत्म करने, हर साल युवाओं के लिए 2 करोड़ रोजगार आदि  चुनावी वादों को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहे हैं। लोगों को भाजपा, आरएसएस, सीएए, एनपीआर, एनआरसी को अस्वीकार करने और मोदी और शाह को अलग करने का सही समय है। 

इसलिए, लोगों को हर समय स्वतंत्रता, न्याय, समानता और बंधुत्व के लिए भारत के संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य के मास्क पहनने की सलाह दी जाती है। यह हमारे देश के शांतिपूर्ण वातावरण और समृद्धि को खतरे में डालती है।

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