- अब भाजपा के पास विधायकों की संख्या 77 हो गई है। और वह अब राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
- मुकेश सहनी का एमएलसी का कार्यकाल जुलाई में खत्म हो रहा है।
- यूपी में सहनी ने भाजपा के खिलाफ 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे।
Mukesh Sahni : बिहार में मुकेश सहनी के तीन विधायकों को भाजपा में शामिल कर पार्टी ने एक साथ दो निशाने साधे हैं। एक तो यूपी चुनाव के समय से भाजपा का खुलकर विरोध कर रहे विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को उनकी पार्टी में ही अकेला कर दिया, दूसरा वह बिहार की नंबर वन पार्टी बन गई है। यानी अब वह केवल, बिहार में एनडीए की नंबर वन पार्टी नहीं है बल्कि राजद को पछाड़कर खुद नंबर वन बैठी है। इस बदलाव का निश्चित तौर पर राज्य की भविष्य राजनीति में असर होने वाला है।
बिहार में कैसे बदला समीकरण
नवंबर 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। और भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी। जबकि जनता दल (यू) के पास 45 सीटें हैं। वही मुकेश सहनी की वीआईपी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। लेकिन बुधवार को वीआईपी पार्टी के तीनों विधायक के भाजपा में शामिल होने से राजनीतिक समीकरण बदल गया है। अब भाजपा के पास विधायकों की संख्या 77 हो गई है। और वह अब राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
मुकेश सहनी की ये चूक पड़ी भारी
महज चार साल पहले 2018 में विकासशील इंसान पार्टी बनाकर बिहार की राजनीति में उतरे वाले मुकेश सहनी ने 2014 लोकसभा चुनावों में भाजपा के लिए प्रचार किया था। लेकिन 2019 में उन्होंने पाला बदलकर राष्ट्रीय जनता दल के साथ चुनाव लड़ा। फिर 2020 में एक बार फिर वह एनडीए के साथ आ गए। और भाजपा ने अपने कोटे से उन्हें 11 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ाया और उनके तीन चार विधायक चुनाव जीतकर आए। लेकिन इसमें से मिश्रीलाल यादव, राजू सिंह, स्वर्णा सिंह फिर से भाजपा में शामिल हो गए है। जबकि बेचहां से विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो चुका है।
असल में पाला-बदलने की प्रवृत्ति मुकेश सहनी के लिए इस बार भारी पड़ गई है। पहने उन्होंने एनडीए में रहते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ 53 सीटों में चुनाव लड़ा। दूसरा बेंचहा उप चुनाव में भाजपा के मना करने के बाद अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। अप्रैल में यहा उप चुनाव होना है। साफ है कि इस फैसले के बाद मुकेश सहनी ने भाजपा के लिए रास्ता खोल दिया। इसके अलावा सहनी ने बिहार एमएलसी चुनावों में भाजपा से बागी तेवर दिखाए।
मंत्री पद भी जाएगा
जिस तरह मुकेश सहनी अब अपनी पार्टी में अकेले विधायक (एमएलसी) बचे हैं। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें जल्द ही एनडीए से बाहर कर दिया जाएगा। और अगर ऐसा होता है तो उनके लिए मंत्रिमंडल में रहना भी संभव नहीं दिखता है। हालांकि इस बीच सहनी ने संकेत दिया है कि वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे। इसका फैसला सीएम नीतीश कुमार को करना है कि सरकार में कौन मंत्री होगा।' इस बीच यह भी अहम बात है कि सहनी का MLC का कार्यकाल 21 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। और बदली परिस्थिति में उनके लिए एमएलसी रहना मुश्किल हो सकता है।
नीतीश सरकार पर असर
सहनी के तीनों विधायकों के भाजपा में शामिल होने से नीतीश सरकार पर कोई असर नहीं होगा। क्योंकि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत है। और अब भाजपा और जद (यू) मिलकर बहुमत का आंकड़ा हासिल कर ले रहे हैं। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के 4 सदस्य और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन हासिल है।
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