नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने दिल्ली के मरकज मामले पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने तबलीगी जमात के इस कृत्य की तुलना तालीबानी अपराध से की है। उन्होंने कहा है कि तबलीगी जमात द्वारा यह तालिबानी अपराध है, इस तरह के आपराधिक कृत्य को माफ नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कई लोगों की जान खतरे में डाल दी है। ऐसे लोगों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हैं।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि निजामुद्दीन मरकज से 2,361 लोगों को निकाला गया है, इसके लिए 36 घंटे अभियान चला। निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए 2,361 लोगों में से 617 अस्पताल में भर्ती और बाकियों को पृथक रखा गया है।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने मंगलवार को कहा कि इस महीने की शुरुआत में निजामुद्दीन पश्चिम में तबलीगी जमात के मरकज में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने वाले 24 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। जैन ने कहा कि सरकार आयोजन में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों की जांच करवा रही है। मामला सामने आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार हरकत में आई और आयोजन में भाग लेने वाले लोगों की तलाश की जा रही है।
AAP विधायक का मरकज पर हमला
आम आदमी पार्टी की विधायक आतिशी ने मरकज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। आतिशी ने ट्वीट किया, 'निजामुद्दीन मरकज के उन प्रशासकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने तीन दिवसीय धार्मिक जलसे का आयोजन किया जिसमें 13-15 मार्च के बीच हजारों लोग शामिल हुए। जबकि दिल्ली सरकार ने दो सौ से अधिक लोगों के एकत्रित होने पर 13 मार्च को ही पाबंदी लगा दी थी।' आतिशी ने कहा कि इसके अलावा दिल्ली सरकार द्वारा 12 मार्च को जारी अधिसूचना में कहा गया था कि कोविड-19 से प्रभावित देशों की यात्रा कर चुके किसी भी व्यक्ति को खुद को पृथक रखना है। तब मरकज के प्रशासकों ने उन देशों से आने वाले नागरिकों को पृथक रखने का इंतजाम क्यों नहीं किया।
इस साल 2100 लोग आए
भारत सरकार ने कहा है कि इस साल तबलीगी गतिविधियों के लिए 2100 विदेशी भारत आए हैं। 21 मार्च तक उनमें से लगभग 824 देश के विभिन्न हिस्सों में चले गए, 216 निजामुद्दीन मरकज में रहे। 21 मार्च को मरकज में करीब 1,746 लोग रह रहे थे। इनमें से 216 विदेशी थे और 1530 भारतीय।इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान के नागरिक इस तबलीगी जमात में शामिल होने के लिए भारत आए।