- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार स्मृति ईरानी को दिया गया
- वो अपने वर्तमान पोर्टफोलियो के साथ इसे भी संभालेंगी
- ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा, इस्पात मंत्रालय का भी प्रभार
नई दिल्ली: मुख्तार अब्बास नकवी और आरसीपी सिंह ने बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों का राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो रहा है। इससे पहले कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों की तारीफ की थी वहीं अब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार स्मृति ईरानी को दिया गया है जो अपने वर्तमान मंत्रालय के साथ इसे भी संभालेंगी।
भारत के राष्ट्रपति ने प्रधान मंत्री की सलाह के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 75 के खंड (2) के तहत, केंद्रीय मंत्रिपरिषद से श्री मुख्तार अब्बास नकवी और श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह के इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है।
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इसके अलावा, जैसा कि प्रधान मंत्री द्वारा सलाह दी गई है, राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि कैबिनेट मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस्पात मंत्रालय का प्रभार भी सौंपा गया
इसके अलावा, जैसा कि प्रधान मंत्री द्वारा सलाह दी गई है, राष्ट्रपति ने निर्देश दिया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैबिनेट मंत्री को उनके मौजूदा पोर्टफोलियो के अलावा, इस्पात मंत्रालय का प्रभार सौंपा जाए। गौर हो कि नकवी राज्यसभा से सांसद का पद संभाल रहे थे और उनका कार्यकाल खत्म होने जा रहा है, बीजेपी ने उन्हें इस बार राज्यसभा भी नहीं भेजा है। नकवी भाजपा के कोटे से झारखंड से राज्यसभा सांसद हैं दरअसल हाल में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान नकवी को दोबारा मौका नहीं दिया गया।
चर्चा थी कि रामपुर सीट पर उपचुनाव के लिए नकवी को उम्मीदवार बनाया जाएगा
शुरू में ऐसा चर्चा थी कि रामपुर सीट पर उपचुनाव के लिए उन्हें वहां से उम्मीदवार बनाया जाएगा लेकिन यहां से उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया गया। ध्यान रहे कि दोनों सदनों का नेता रहे बगैर कोई भी मंत्री पद पर छह महीने तक रह सकता है। वहीं मुख्तार नकवी के लिए सरकार में आगे कौन सी भूमिका मिलेगी, इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सियासी गलियारे में चर्चा यह भी है कि नकवी को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार अथवा किसी केंद्रशासित प्रदेश का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनाया जा सकता है।