नई दिल्ली : मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा 'लेट मी से इट नाउ' में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। इसमें 26 नवंबर, 2008 के मुंबई आतंकी हमले से लेकर मायानगरी में अंडरवर्ल्ड तक से जुड़ी कई बातें हैं। अपनी इसी आत्मकथा में उन्होंने 1997 में टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या से जुड़ी बातों का भी जिक्र किया है और दावा किया उन्हें इसकी जानकारी पहले से थी। हालांकि वह इसे रोक नहीं पाए।
टी-सीरीज के मालिक थे गुलशन कुमार
मारिया ने अपनी किताब में लिखा कि उन्हें पहले ही खबरी से इसकी सूचना मिल गई थी कि अपराधी शिव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार को निशाना बनाने वाले हैं। यह वह दौर था जब गुलशन कुमार ने फिल्मी गानों की कैसेट रिकॉर्डिंग, फिल्म निर्माण और भक्ति एलबमों से करोड़ों रुपये कमाए थे। तब मुंबई में अंडरवर्ल्ड के लोग भी खूब सक्रिय थे। 'कैसेट किंग' के नाम से मशहूर गुलशन कुमार तब टी-सीरीज कंपनी के मालिक थे। कैसेट से करोड़ों की कमाई को लेकर वह अंडरवर्ल्ड के निशाने पर थे।
खबरी ने दी थी सूचना
मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्हें एक खबरी ने 22 अप्रैल, 1997 को ही फोन पर इसकी जानकारी देते हुए कहा था, 'गुलशन कुमार का विकेट गिरने वाला है।' उसने यह भी बताया था कि गुलशन कुमार पर शिव मंदिर में हमला होने वाला है, जहां वह घर से निकलकर रोज सुबह पूजा के लिए जाते हैं। पहले तो उन्हें यकीन नहीं हुआ और इसलिए उन्होंने खबरी ने से दोबारा पूछा कि क्या यह सच्ची जानकारी है? इस पर खबरी ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो वह उन्हें बताता ही क्यों? इस पर फिर उन्होंने पूछा कि आखिर कौन है, जो गुलशन कुमार की जान लेना चाहता है? इस पर खबरी ने उन्हें अबू सलेम का नाम बताया था और यह भी कहा कि अबू सलेम ने शूटर्स के साथ पूरा प्लान तय कर लिया है।
महेश भट्ट को भी किया था फोन
मारिया के मुताबिक, खबरी के फोन रखने के बाद वह कुछ सोचने लगे और अगले दिन उन्होंने फिल्मकार महेश भट्ट को भी फोन कर इसकी तस्दीक कर ली कि गुलशन कुमार सुबह शिव मंदिर जाते हैं। तब महेश भट्ट ने उन्हें बताया था कि वह उनकी एक फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। आखिर पहले से खुफिया जानकारी होने के बाद भी गुलशन कुमार की हत्या को क्यों नहीं टाला जा सका? इस बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा है कि उन्होंने मुंबई पुलिस की अपराध शाखा से गुलशन कुमार को सुरक्षा देने के लिए कहा था, लेकिन 12 अगस्त, 1997 को जब मुंबई के अंधेरी इलाके में स्थित एक शिव मंदिर से बाहर निकलते समय उनकी हत्या हो गई तो जांच में यह पता चला कि गुलशन कुमार की सुरक्षा यूपी पुलिस और कमांडो संभाल रहे थे, क्योंकि यूपी के नोएडा में उनकी कैसेट कंपनी थी। इस वजह से मुंबई पुलिस की सुरक्षा हटा ली गई थी।