- कोरोना संकट के बीच एक बार फिर पीएम मोदी ने की 'मन की बात'
- हर महीने आखिरी रविवार को प्रसारित होता है कार्यक्रम
- कोरोना संकट पर केंद्रित रहा रेडिया कार्यक्रम का ये एपिसोड
नई दिल्ली: रविवार, 26 अप्रैल को महीने का आखिरी रविवार है और एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज देशवासियों को संबोधित किया। महामारी के संकट के समय में यह पीएम मोदी की ओर से दूसरी मन की बात है। पहली बार में 29 मार्च को उन्होंने देशवासियों को वायरस के खतरे से सतर्क करते हुए लॉकडाउन और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी।
साल 2014 में सरकार में आने के बाद रेडियो पर लोगों से संवाद के लिए प्रधानमंत्री की ओर से यह पहल शुरु की गई थी। रेडियो की उपलब्धता गांव गांव में होने की वजह से यह कार्यक्रम लोगों के बीच खासा लोकप्रिय भी है जिसमें पीएम अलग अलग समसामायिक मुद्दों पर लोगों से चर्चा करते हैं। यहां पढ़िए आज पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम में क्या बातें कहीं।
Mann Ki Baat (मन की बात) में पीएम क्या बोले-
- दो गज दूरी बहुत है जरूरी: प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग सोच रहे हैं उनके इलाके में घर- ऑफिस में अभी तक कोरोना नहीं आया तो अब आएगा भी नहीं लेकिन ऐसी धारणा रखना गलत है, हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं। हमें दुनिया का अनुभव बहुत कुछ कह रहा है। पीएम ने हमारे यहां तो वैसे भी कहा जाता है- सावधानी हटी दुर्घटना घटी और साथ ही उन्होंने सोशल डिस्टेसिंग का संदेश देते हुए कहा- दो गज दूरी बहुत है जरूरी।
- मास्क बन रहा सभ्यता की पहचान: कोरोना की वजह से बदलते हुए हालत में मास्क भी हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है। वैसे हमें इसकी आदत कभी नहीं रही कि हमारे आस-पास के बहुत सारे लोग मास्क में दिखें, लेकिन अब हो यही रहा है। इसका ये मतलब नहीं है कि जो मास्क लागाते हैं वे सभी बीमार हैं। मास्क धीरे धीरे सभ्य समाज की पहचान बनकर जीवनशैली में शामिल हो रहा है।
- अक्षय तृतीया याद दिलाता है मानवीय भावनाएं भी अक्षय: आज अक्षय तृतीया का पवित्र दिन है। आज के कठिन समय में यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी आत्मा,भावना 'अक्षय' है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयां रास्ता रोकें, कितनी भी आपदाओं,बीमारियों का सामना करना पड़े इनसे लड़ने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं।
- फिर दिख रहा योग और आयुर्वेद का प्रभाव: कई बार हम अपनी ही शक्तियों और समृद्ध परम्परा को पहचानने से इनकार कर देते हैं लेकिन जब विश्व का कोई दूसरा देश evidence based research का आधार पर वही बात करता है तो हम उसे हाथों-हाथ ले लेते हैं। इसके पीछे एक बहुत बड़ा कारण - सैकड़ों वर्षों की हमारी गुलामी का कालखंड रहा है।
जैसे विश्व ने योग को सहर्ष स्वीकार किया है वैसे ही, हजारों वर्ष पुराने, हमारे आयुर्वेद के सिद्धांतों को भी विश्व अवश्य स्वीकार करेगा। युवाओं को हमारी सांस्कृतिक विरासत दुनिया को आधुनिक वैज्ञानिक भाषा में समझाने का बीड़ा उठाना चाहिए। - पुलिस के प्रति बदलता नजरिया: पहले पुलिस के विषय में सोचते ही नकारात्मकता के सिवाय हमें कुछ नज़र नहीं आता था। हमारे पुलिसकर्मी आज गरीबों, जरूरतमंदों को खाना, दवा पहुंचा रहे हैं। जिस तरह से हर मदद के लिए पुलिस सामने आ रही है इससे पुलिसिंग का मानवीय और संवेदनशील पक्ष हमारे सामने उभरकर आया है।
- दुनिया की मदद करके भारत ने दिखाई संस्कृति: देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुंचाने के लिए 'लाइफ-लाइन उड़ान' नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। हमारे इन साथियों ने इतने कम समय में देश के भीतर ही 3 लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से अधिक मेडिकल सामग्री देश के कोने-कोने में पहुंचाई है। संकट के समय हमने अपनी संस्कृति का परिचय दिया।
- लाइफ-लाइन उड़ान: देश के हर हिस्से में दवाईयों को पहुंचाने के लिए 'लाइफ-लाइन उड़ान' नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। हमारे इन साथियों ने इतने कम समय में देश के भीतर ही 3 लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से अधिक मेडिकल सामग्री देश के कोने-कोने में पहुंचाई है।
- उमड़ते घुमड़ते भाव से आ रही ताकत: दूसरों की मदद के लिए, अपने भीतर, ह्रदय के किसी कोने में, जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना! वही कोरोना के खिलाफ, भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है। हमारे किसान भाई-बहन को ही देखिये - वो इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भूखा ना सोये।
- ताली-थाली, दिया-मोमबत्ती ने जगाई भावना: ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीज़ों ने जिन भावनाओं को जन्म दिया। जिस जज्बे से देशवासियों ने कुछ-न-कुछ करने की ठान ली, हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है।
- एक एक नागरिक सिपाही है: हम भाग्यशाली हैं कि आज पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन इस लड़ाई का सिपाही है और लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है। आज पूरा देश, एक लक्ष्य, एक दिशा के साथ आगे बढ़ रहा है। पूरे देश में,गली-मोहल्लों में,जगह-जगह पर आज लोग एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आए हैं।
गरीबों के लिए खाने से लेकर,राशन की व्यवस्था हो, लॉकडाउन का पालन हो,अस्पतालों की व्यवस्था हो, मेडिकल उपकरण का देश में ही निर्माण हो-आज पूरा देश,एक लक्ष्य, एक दिशा साथ-साथ चल रहा है - इतिहास में दर्ज होगा हमारा प्रयास: अपना संबोधन शुरु करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब भी इतिहास में इस संकट को लेकर चर्चा की जाएगी तो भारत के लोगों के एक दूसरे के साथ खड़े होने के बारे में दुनिया में बात जरूर की जाएगी। लोग जिस तरह काम कर रहे हैं वह सराहनीय है।
- भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही मायने में people driven है। भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है, आप लड़ रहे हैं, जनता के साथ मिलकर शासन, प्रशासन लड़ रहा है।