जनसंख्या में वृद्धि के साथ, ऊर्जा की आवश्यकता भी लगातार बढ़ रही है। इसलिए ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता के महत्व के बारे में आम जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 'ऊर्जा संरक्षण दिवस' मनाया जाता है। ऊर्जा संरक्षण ऊर्जा की खपत को कम करने और कम से कम ऊर्जा का उपयोग करने के लिए किया गया प्रयास है ताकि ऊर्जा के स्रोतों को भविष्य में उपयोग के लिए बचाया जा सके। हालांकि, ऊर्जा संरक्षण या तो ऊर्जा का उपयोग कुशलता से करके या उपयोग की मात्रा को कम करके प्राप्त किया जा सकता है।
हमारे दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाले अधिकांश ऊर्जा स्रोत 'गैर-नवीकरणीय' हैं, जिनका पुन: उपयोग और नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि हमारे ऊर्जा संसाधन केवल 40 साल या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं। इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यवहार में ऊर्जा संरक्षण को शामिल करना चाहिए और ऊर्जा संरक्षण योजना को अधिक प्रभावी बनाना होगा।
विद्युत मंत्रालय के अधीनस्थ ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा हर साल 14 दिसंबर को 'राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस' का आयोजन किया जाता है। इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण में भारत की उपलब्धियों को दर्शाना और जलवायु परिवर्तन में कमी की दिशा में राष्ट्र के सर्वांगीण प्रयासों के तहत समग्र विकास की अपनी महत्वाकांक्षा के लिए अथक कोशिश करना है।
ऊर्जा संरक्षण के उपाय
- जब उपयोग में न हो, बल्ब या लाइट और पंखों को बंद कर दें।
- ट्यूब लाइट, बल्बों और अन्य उपकरणों पर जमी हुई धूल को नियमित रूप से साफ करें।
- हमेशा आईएसआई मुहर लगे बिजली उपकरणों और साधनों का प्रयोग करें।
- अपनी ट्यूब लाइट और बल्बों को ऐसी जगह लगाएं जहां प्रकाश आने में दिक्कत न हो।
- ऊर्जा बचाने के लिए एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।
- फ्रिज का दरवाजा बार-बार खोलने बंद करने से बिजली की खपत बढ़ती है।
- टीवी म्यूजिक सिस्टम और टेप रिकॉर्ड आदि को स्टेंड बाई मोड में न रखे।
- गीजर में अधिकतम बिजली खर्च होती है अतः उतना पानी गरम करें जितनी जरूरत है।
- दिन में सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करे तथा गैर जरुरी पंखे लाइट एसी इत्यादि उपकरणों को बंद रखे।