- सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू की सजा को 1000 रुपये के जुर्माने में बदल दिया था।
- पटियााल में सिद्धू के साथ हाथापाई में 65 साल के गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी।
- नवजोत सिंह सिद्धू 1988 के जिस मामले में दोषी पाए गए हैं। उस वक्त वह भारत के लिए क्रिकेट खेला करते थे।
Navjot Singh Sidhu Jail: नवजोत सिंह सिद्धू अभी चुनावी हार से उबरे नहीं थे कि उन्हें बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बृहस्पतिवार को 34 साल पुराने रोड रेज मामले में एक साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन मामले में बरी करते हुए हाई कोर्ट द्वारा दी गई 3 साल की सजा को एक हजार रुपए के जुर्माने में बदल दिया था। लेकिन कोर्ट ने सजा के मुद्दे पर मृतक के परिवारजनों की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर एक साल के कारावास की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने क्या कहा
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने सिद्धू को दी गई सजा के मुद्दे पर पीड़ित परिवार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया। और फैसला सुनाते हुए कहा 'हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है.... इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया है। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कारावास की सजा देना उचित समझते हैं।' अदालत का फैसला आने के बाद सिद्धू ने ट्वीट कर कहा है 'मैं अपने आप को कानून के समक्ष प्रस्तुत करूंगा।'
क्या है मामला
जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है, वह करीब 34 साल पुराना मामला है। जब सिद्धू की 27 दिसंबर 1998 को पटियाला शहर में 65 साल के गुरनाम सिंह के साथ हाथापाई हुई थी। उस वक्त सिद्धू अपने एक साथी के साथ शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में सवार थे। उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए अपनी कार से बैंक जा रहे थे। जब वे चौराहे पर पहुंचे कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में देख, उसमें सवार सिद्धू और उनके साथी को जिप्सी हटाने के लिए कहा। इस बात पर दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई। इस हाथापाई में गुरनाम सिंह को इतनी चोटें आई को उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा, जहां उनकी मौत हो गई।
सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, पुराने रोडरेज केस में मिली एक साल जेल की सजा
निचली अदालत ने बरी किया तो हाई कोर्ट सजा सुनाई
इस मामले में सितंबर 1999 में निचली अदालत ने सिद्धू को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था। लेकिन फिर गुरनाम सिंह के परिवार वालों ने हाई कोर्ट में अपील दायर की । इसके बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दिसंबर 2006 को सिद्धू और उनके साथी रूपिंदर सिंह संधू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया। और दोनों को तीन साल के कारावास की सजा सुनाई और उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
लेकिन इस फैसले के खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। और उन्होंने अपनी अपील में यह कहा था कि गुरनाम सिंह की मौत को लेकर डॉक्टरों की राय स्पष्ट नही है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में सिद्धू की सजा को 1000 रुपये के जुर्माने में बदल दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर गुरनाम सिंह के परिवार वालों ने फिर से पुनर्विचार याचिका दायर की थी। और उसी के आधार पर अब अदालत ने सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है।
क्रिकेटर-कमेंटेटर-कॉमेडी शो से लेकर राजनीति का सफर
नवजोत सिंह सिद्धू 1988 के जिस मामले में दोषी पाए गए हैं। उस वक्त वह भारत के लिए क्रिकेट खेला करते थे। वह 1983 से लेकर 1999 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे। क्रिकेट से कमेंटेटर और फिर कॉमेडी और दूसरे टेलीविजन शो में भी उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान वह राजनीति में भी शामिल हो गए। सिद्धू 2004 से 2016 तक भाजपा के साथ रहे और इस दौरान 2004 और 2009 में अमृतसर से सांसद भी रहे। लेकिन 2017 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। और बाद में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और खुद की चुनावी हार के बाद वह अध्यक्ष पद से हटा दिए गए।
(एजेंसी इनपुट के साथ)