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Farm Bills : 'ये काले कानूनों की तहजीब है जनाब', कृषि कानूनों पर सिद्धू की खरी-खरी 

Updated Feb 24, 2021 | 14:53 IST

Farmer Protest : सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो गई है लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठन तीनों कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
नवजोत सिंह सिद्धू ने कृषि कानूनों पर सरकार पर निशाना साधा।
मुख्य बातें
  • कृषि कानूनों पर नवजोत सिंह सिद्धू ने शायराना अंदाज में सरकार पर कसा तंज
  • सिद्धू ने हिंदी में किए गए ट्वीट में कहा-ये काले कानूनों की तहजीब है जनाब
  • तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं किसान संगठन

चंडीगढ़ : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने विरोध किया है। सिद्धू ने बुधवार को इन्हें 'काला कानून बताया।' यही नहीं, कांग्रेस नेता ने किसान आंदोलन पर सरकार के रुख की आलोचना भी की। उन्होंने हिंदी में किए गए अपने ट्वीट में कहा, 'ये काले कानूनों की तहजीब है जनाब...ये कैद कर खाना देने की बात करते हैं।' इससे पहले सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कृषि व्यवस्था को चौपट करने के लिए ये तीनों कानून लाए गए हैं। 

तीनों कृषि कानूनों की वापसी चाहते हैं किसान
उन्होंने कहा कि इन कानूनों के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'अपने मित्रों' को फायदा पहुंचाना चाहते हैं। कृषि कानूनों के विरोध में किसान गत नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो गई है लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठन तीनों कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं जबकि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी। 

किसानों को एकजुट होने की अपील कर चुके हैं सिद्धू
इससे पहले कांग्रेस नेता ने गत सितंबर महीने में पंजाब के किसानों से एकजुट होने की अपील की। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि वे चुनाव लड़ें जिससे उनकी आवाज विधानसभा में सुनी जाए। सिद्धू ने कहा कि राज्य की 60 प्रतिशत आबादी कृषि कार्य करती है। ऐसे में राज्य में किसान बहुमत में हैं।

किसानों से चुनाव लड़ने की अपील की
उन्होंने कहा, 'यदि आप बहुमत में हैं तो आप एकजुट क्यों नहीं होते। आप चुनाव लड़िए और अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा में भेजिए। आपके नुमाइंदे यदि विधानसभा में होंगे तो वे किसानी से जुड़े मुद्दों को उठाएंगे। अपनी ताकत पहचानिए और राजनीतिक दलों के हाथों उत्पीड़न से खुद को बचाइए।'

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