- टीके के आपात इस्तेमाल के लिए डीसीजीआई से अनुमति मांगी गई
- डीएनए तकनीक पर आधारित दुनिया का यह पहला कोरोना टीका है
- 12 से 18 साल के बच्चों पर भी हुआ है इस टीके का क्लिनिकल ट्रायल
नई दिल्ली : लोगों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि उन्हें जल्दी ही कोरोना का एक और स्वदेशी टीका मिल सकता है। डीएनए तकनीक पर निर्मित यह वैक्सीन इस महीने के आखिर में या अगले महीने की शुरुआत में आ सकती है। यह देश में इस्तेमाल हो रही कोरोना के तीन अन्य टीकों से अलग है। पहला, यह डीएनए तकनीक पर आधारित है और यह तीन डोज वाली है। दूसरा, इसे कमरे के तापमान में स्टोर किया जा सकता है और यह निडिल फ्री है। इस टीके को देने के लिए इंजेक्शन की जगह जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल होगा।
जायडस कैडिला ने की है इस टीके का निर्माण
इस स्वदेशी टीके का निर्माण दवा निर्माता कंपनी जायडस कैडिला कर रही है। खास बात है कि डीएनए प्लाज्मा तकनीक पर आधारित यह दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है। जायडस कैडिला ने अपने इस टीके के आपात इस्तेमाल की इजाजत डीजीसीआई से मांगी है। नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑफ इम्यूनाइजेशन (NTAGI) के चेयरपर्सन डॉक्टर एन के अरोड़ा का कहना है कि यह पहली डीएनए वैक्सीन है। इस टीके को इस महीने के अंत में या अगस्त के पहले सप्ताह में लॉन्च किया जा सकता है। डॉ. अरोड़ा ने बताया कि यह पहली बार है जब एक टीके का निर्माण डीएनए तकनीक पर किया जा रहा है।
डीएनए तकनीक पर बनी है यह वैक्सीन
उन्होंने कहा कि इस तकनीक में वायरस के जेनेटिक कोड के छोटे से हिस्से को लेकर शरीर को कोरोना के खिलाफ लड़ना सिखाती है। हमारे शरीर का कोड आरएनए और डीएनए में होता है और इसमें वैक्सीन डालते हैं तो यह शरीर के अंदर जाकर करके वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। भारत में अभी कोरोना के तीन टीके लोगों को लगाए जा रहे हैं। ये टीके हैं-कोवाक्सिन, कोविशील्ड और स्पुतनिक V। ये तीनों टीके दो डोज वाले हैं लेकिन जायकोव-डी वैक्सीन इन तीन टीकों से अलग है।
जेट इंजेक्टर से दी जाएगी यह वैक्सीन
डॉ. अरोड़ा ने कहा कि यह तीन खुराक वाली वैक्सीन है। इसका पहला टीका लगने के बाद इसकी दूसरी खुराक 28 दिनों के बाद और तीसरी खुराक 56 दिनों के बाद दी जाएगी। खास बात है कि यह निडिल फ्री वैक्सीन है। इसे जेट इंजेक्टर से दिया जाएगा। अमेरिका में व्यापक रूप से जेट इंजेक्टर का इस्तेमाल होता है। इसके जरिए त्वचा के नीचे वैक्सीन को भारी दबाव के साथ डाला जाता है। जेट इंजेक्टर से वैक्सीन लेने पर दर्द का अनुभव कम होता है। इस वैक्सीन का ट्रायल 12 से 18 साल के बच्चों पर भी किया गया है।