- गृह मंत्रालय के नए नोटिफिकेशन के बाद बीएसएफ को पंजाब, बंगाल और असम में ज्यादा अधिकार मिल गए हैं।
- तीनों राज्यों में अब बीएसएफ को सीमावर्ती इलाकों में 50 किलोमीटर के क्षेत्र तक कार्रवाई का अधिकार मिल गया है। पहले 15 किलोमीटर का दायरा उसके अधिकार क्षेत्र में था।
- गुजरात में बीएसएफ के लिए 80 किलोमीटर के दायरे को घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया है।
नई दिल्ली: 11 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार का बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया फरमान, अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। अभी तक, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, नए फरमान के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर थे, लेकिन अब उनको पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ मिल गया है।
सोमवार को सिलीगुड़ी में हुई प्रशासनिक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "पंजाब की तरह हम भी सीमा सुरक्षा बल का दायरा बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं। राज्य के सीमावर्ती इलाके पूरी तरह से शांतिपूर्ण है। कानून और व्यवस्था पुलिस का विषय है, ऐसे में बीएसएफ का दायरा बढ़ाए जाने से बाधा उत्पन्न होगी। " इसके पहले सोमवार को ही चन्नी ने राज्य में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि केंद्र सरकार को नए प्रावधान को वापस लेना चाहिए। इस बैठक का भाजपा ने बहिष्कार किया था।
क्या है बीएसएफ को लेकर नया आदेश
गृह मंत्रालय के नए आदेश के अनुसार अब बीएसएफ के जवान और अधिकारी पंजाब, बंगाल,असम जैसे राज्यों में सीमा के अंदर 50 किलोमीटर के दायरे में गिरफ्तारी, सर्च अभियान और जब्ती जैसी कार्रवाई का फैसला खुद ले सकेंगे। पहले बीएसएफ को ये ताकतें सीमा से सिर्फ 15 किमी तक के दायरे में दी गई थीं।
केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार वह 2014 में जारी किए गए नोटिफिकेशन में संशोधन कर रही है। बीएसएफ के पास भारत-बांग्लादेश और भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा सुरक्षा की प्रमुख रुप से जिम्मेदारी है। नए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि बीएसएफ के नए अधिकार क्षेत्र में मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय जैसे राज्य और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेश के पूरे इलाके आएंगे।
जबकि पंजाब, पश्चिम बंगाल,असम, गुजरात, राजस्थान जैसे राज्यों में सीमा से अंदर 50 किमी का दायरा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में रहेगा।
पहले क्या थे नियम
इसके पहले 2014 के नोटिफिकेशन के अनुसार नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और मेघालय के सभी इलाकों में बीएसएफ का अधिकार था। जबकि गुजरात में सीमा से लगे 80 किमी और राजस्थान में सीमा से 50 किमी के दायरे बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में आते थे। और पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में सीमा के अंदर 15 किमी तक का क्षेत्र आता था।
पंजाब और बंगाल को क्या है डर
असल में बीएसएफ जब भी राज्य के अंदरुनी इलाकों में कार्रवाई करेगी, तो उसका और स्थानीय पुलिस का अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। पंजाब जैसे छोटे राज्य में तो उसके 23 जिलों में से 10 जिलों पर नए फरमान का आंशिक और पूर्ण रुप से असर होगा। जहां तक बंगाल की बात है तो वह पंजाब जैसा छोटा राज्य नहीं है, लेकिन वहां से बंग्लादेश घुसपैठियों की समस्या बनी हुई है। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भी कहना है " इससे राज्य की पुलिस और बीएसएफ के बीच विवाद पैदा हो सकता है।"
जबकि बीएसएफ के लिए संदिग्धों को पकड़ना आसान हो जाएगा।
सुरक्षा बनाम संघीय ढांचे पर खतरा !
पंजाब में सर्वदलीय बैठक का भारतीय जनता पार्टी ने बहिष्कार किया । पार्टी का कहना था कि राज्य की कांग्रेस सरकार सुरक्षा मामलों से खिलवाड़ कर रही है। जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि वह इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले ही पत्र लिख चुके हैं। उनका कहना है कि नए फैसले से संविधान के संघीय ढांचे की भावना का उल्लंघन हो रहा है।
भाजपा बनाम अन्य की बनी लड़ाई
जिन 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नए नियम के तहत बीएसएफ की ताकत बढ़ी है। उनमें असम, मिजोरम, मणिपुर,नगालैंड , त्रिपुरा, मेघालय, गुजरात शामिल हैं। इन सभी राज्यों में भाजपा या फिर उसके सहयोगी दलों की सरकार है। ऐसे में वहां से विरोध के सुर नहीं है। जबकि पंजाब में कांग्रेस और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। जबकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है लेकिन वहां नियमों में कोई बदलाव नहीं है, इसलिए विरोध के सुर नहीं उठ रहे हैं। जबकि जम्मू और कश्मीर, लद्दाख में केंद्रशासित प्रदेश हैं।