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जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रहा कांग्रेस का संदेश, निजी महत्वाकांक्षाओं से आगे निकलें कांग्रेस नेता: सोनिया गांधी

Updated Oct 26, 2021 | 13:30 IST

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में महासचिवों, राज्य प्रभारियों और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि हमें वैचारिक रूप से BJP-RSS के द्वेषपूर्ण अभियान से लड़ना चाहिए।

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सोनिया गांधी
मुख्य बातें
  • सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी में अनुशासन और एकजुटता पर जोर दिया
  • सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा
  • कार्यकर्ताओं को ऐसे प्रशिक्षित करना है कि वह कांग्रेस की विचारधारा को बरकरार रखते हुए लड़ाई लड़ें: कांग्रेस अध्यक्ष

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC) की बैठक में अनुशासन और एकता बनाए रखने पर जोर देते हुए कहा कि संगठन को मजबूत करने की भावना निजी महत्वाकांक्षाओं से ऊपर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए लड़ाई कार्यकर्ताओं को मिथ्या प्रचार की पहचान करने और उससे मुकाबले के लिए तैयार करने के साथ शुरू होती है। सरकार की ज्यादतियों के शिकार लोगों के लिए लड़ाई और तेज करनी चाहिए। कांग्रेस का संदेश जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रहा है, मुझे नीतिगत मुद्दों पर राज्य के नेताओं के बीच स्पष्टता, सामंजस्य की कमी दिखती है। सरकार की ज्यादतियों के शिकार लोगों के लिए लड़ाई और तेज करनी चाहिए।

हमारे लोकतंत्र, हमारे संविधान और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा की रक्षा के लिए लड़ाई की शुरुआत झूठे प्रचार को पहचानने और उसका मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार होने से होती है। हमें वैचारिक रूप से भाजपा/आरएसएस के द्वेषपूर्ण अभियान से लड़ना चाहिए। अगर हमें इस लड़ाई को जीतना है तो हमें दृढ़ विश्वास के साथ ऐसा करना चाहिए और लोगों के सामने उनके झूठ का पर्दाफाश करना चाहिए। अंत में मैं अनुशासन और एकता की सर्वोपरि आवश्यकता पर फिर से जोर देना चाहूंगी। हम में से प्रत्येक के लिए जो मायने रखता है वह है संगठन की मजबूती। यह व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से आगे निकल जाना चाहिए। 

हमारा अपना इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर किसी संगठन को अन्याय और असमानता के खिलाफ सफल होना है, अगर उसे हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की प्रभावी रूप से हिमायत करनी है, तो उसे जमीनी स्तर पर एक व्यापक आंदोलन खड़ा करना होगा। देश भर के युवा पुरुष और महिलाएं अपनी उम्मीदों को आवाज देने के लिए एक आंदोलन की बाट जोह रहे हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें एक मंच प्रदान करें, जैसा कि हमने पिछली पीढ़ियों के लिए किया है। हमें हमारे किसान और खेत मजदूर, रोजगार और अवसरों के लिए लड़ने वाले युवा, छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसाय,  विशेष रूप से हमारे वंचित भाई और बहनों के लिए अपनी लड़ाई को मजबूत करना होगा, जो इस सरकार की ज्यादतियों के शिकार हैं।

जवाबदेही से बचने और हमारे संविधान के मूल मूल्यों को कमजोर करने के लिए मोदी सरकार ने हमारी संस्थाओं को नष्ट करने की कोशिश की है। इसने हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर ही सवाल उठाया है।

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