- ईपीएफ के नियमों में तीन महीने के लिए हुआ बदलाव
- नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए सरकार ने 2 प्रतिशत कटौती की घोषणा की
- दोनों पार्टियां मिलकर अब 12 प्रतिशत के बजाय 10 प्रतिशत ईपीएफओ में देंगी
नई दिल्ली: मई से तीन महीने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के नियमों में बदलाव हो रहा है। इससे आपके हाथ में आने वाली सैलरी बढ़ेगी जबकि सीटीसी (कोस्ट टू कंपनी) में कोई बदलाव नहीं होगा। नियोक्ताओं और कर्मचारियों पर से तरलता के दबाव को कम करने के लिए, सरकार ने घोषणा की है कि दोनों पार्टियों के लिए योगदान की वैधानिक दर 12 प्रतिशत से घटाकर 10% की जाएगी।
इस समय नियोक्ता और कर्मचारी दोनों 12-12 प्रतिशत यानी बेसिक सैलरी और डियरनेस एलाउंस (डीए) का कुल 24 प्रतिशत योगदान कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सेवानिवृत्त किटी को देते हैं। नए नियमों के अंतर्गत, यह 12% मई, जून और जुलाई के तीन महीनों के लिए 10% (कुल 20%) में कटौती की जा रही है।
इसका मतलब यह हुआ कि इस महीने आपके हाथ में आने वाली सैलरी आपके बेसिक और डीए के 4 प्रतिशत के बराबर राशि से अधिक होगा। उदाहरण के लिए अगर आपके महीने का मूल और डीए 10,000 रुपए है, तो दोनों आप व आपका नियोक्ता ईपीएफ अकाउंट में 1,200 के बजाय 1,000 रुपए योगदान के रूप में देगा। फिर आपको हाथ में मिलने वाली सैलरी में 400 रुपए (नियोक्त और कर्मचारी का योगदान) ज्यादा मिलेंगे।
श्रम मंत्रालय का बयान
श्रम मंत्रालय ने इसे स्पष्ट करते हुए बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा, 'योगदान की वैधानिक दर में 12% से 10% तक की कमी के परिणामस्वरूप, कर्मचारी के पास ईपीएफ योगदान के कारण उसके वेतन से कटौती में कमी के कारण घर का भुगतान अधिक होगा और नियोक्ता को भी अपने कर्मचारियों के वेतन का उसकी देयता 2 से कम हो जाएगी।'
इसमें आगे कहा गया है, 'अगर 10,000 रुपए मासिक ईपीएफ मजदूरी है, तो कर्मचारी की मजदूरी से 1,200 रुपए के बजाय 1,000 रुपए कटेंगे और नियोक्ता भी 1,200 रुपए के बजाय 1,000 रुपए ईपीएफ योगदान देगा। कोस्ट टू कंपनी (सीटीसी) मॉडल में अगर 10,000 रुपए मासिक ईपीएफ मजदूरी है तो कर्मचारी को 200 रुपए ज्यादा सीधे नियोक्ता ईपीएफ/ईपीएस के कम होने व 200 रुपए अपनी मजदूरी के कम होने पर मिलेंगे।'
श्रम मंत्रालय ने यह भी कहा है कि कर्मचारी, अगर वे चाहते हैं, तो अगले तीन महीनों के लिए अपने भविष्य निधि (पीएफ) में मूल वेतन का 10% से अधिक योगदान कर सकते हैं, लेकिन नियोक्ताओं को उच्च योगदान से मेल खाने की आवश्यकता नहीं है।
योगदान की दर में कमी केंद्रीय और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों या किसी अन्य प्रतिष्ठान के स्वामित्व या नियंत्रण में या केंद्र सरकार या राज्य सरकार के नियंत्रण में लागू नहीं होती है। ये प्रतिष्ठान मूल वेतन और डीए का 12% योगदान देना जारी रखेंगे।