नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चेन्नई में एक कार्यक्रम के दौरान स्वदेश निर्मित अर्जुन टैंक (एमके-1ए) को सेना को सौंप दिया। डीआरडीओ की ओर से तैयार किए गए 118 स्वदेशी मेन बैटल टैंक सेना को मिलेंगे। इससे सेना की ताकत में पहले से ज्यादा इजाफा होगा। भारत ने टैंक निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए साल 1972 में शुरुआत की लेकिन उसे करीब तीन दशकों तक अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन समय के साथ अर्जुन टैंक अपनी परीक्षाओं में खरा उतरा। अर्जुन टैंक साल 2004 में सेना में शामिल हुआ और तब से इसमें कई बदलाव हो चुके हैं।
अगले तीन चार साल में अर्जुन पूरी तरह से स्वदेशी और आत्मनिर्भर टैंक बन जाएगा। रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डीआरडीओ तेजी से काम कर रहा है। इन 118 टैंकों के निर्माण में 8400 करोड़ रुपए की लागत आई है। डीआरडीओ के वैज्ञानिक वी बालामुरगन का कहना है कि अर्जुन टैंक में 71 बदलाव किए गए हैं और इनमें से 40 बदलाव बड़े हैं। अर्जुन टैंक दुनिया के बेहतरीन टैंकों में शुमार है लेकिन अब इसका अत्याधुनिक वर्जन भारतीय सेना में शामिल होगा। यह पहले से ज्यादा घातक और शक्तिशाली है।
- डीआरडीओ ने 8400 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए 118 टैंक।
- इस टैंक का वजन 68 टन और चाल 58 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
- पिछले दिवाली के मौके पर पीएम मोदी जैसलमेर गए थे और यहां पर वह अर्जुन टैंक पर सवार हुए थे।
- अर्जुन मार्क 1ए में 1200 एमएम की गन लगी है। इसके अलावा 7.62 एमएम और ग्राउंट टार्गेट के लिए 12.7 एमएम की गन लगी है।
- समझा जाता है कि आने वाले समय में इससे मिसाइल भी छोड़ी जा सकेगी।
- आधुनिक तकनीक लगने से मारक क्षमता पहले से ज्यादा बढ़ गई है।
- अर्जुन मार्क 1ए में एंटी एयरक्राफ्ट मशीन गन लगी है। यह जमीन से ही लड़ाकू हेलिकॉफ्टर को मार गिराएगा।
- गन कंट्रोल सिस्टम और ट्रैक सिस्टम इंजन स्वदेशी हैं।
- इस टैंक में अत्याधुनिक ट्रांसमिशन सिस्टम लगा है। यह अपने दुश्मन को खुद ढूंढ लेगा।
- केमिकल अटैक से बचाने के लिए सेंसर लगे हैं। रात में दुश्मन पर नजर रखने के लिए थर्मल इमेजिंग सिस्टम लगे हैं।