- इस बार इफ्तार से पहले साल 2017 में मकर संक्राति के मौके पर राबड़ी देवी के घर पहुंचे थे।
- साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर भाजपा और जद(यू) ने मिलकर सरकार बनाई ।
- जद (यू) के तीसरे नंबर पर आने के बाद से विपक्ष यह कहता रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में काम कर रहे हैं।
Nitish Kumar-Tejaswi Yadav: यूपी के बाद अब बिहार में भी चाचा-भतीजा का खेल चल रहा है। कभी एक-दूसरे से विधानसभा से लेकर चुनावी रैलियों तक तीखी नोक-झोंक करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच इफ्तार के बहाने नजदीकियां बढ़ रही हैं। और दोनों की 6 दिन के अंदर दूसरी बार मुलाकात होने वाली है। असल में जद (यू) ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सहित तेजस्वी यादव और उनके परिवार को इफ्तार पार्टी में शामिल होने के लिए न्योता भेजा है। और ऐसी संभावना है कि तेजस्वी यादव इस इफ्तार पार्टी में शामिल होंगे। तेजस्वी अक्सर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना चाचा कहते रहते हैं।
इफ्तार के बहाने दूरियां हो रही हैं कम
इसके पहले 22 अप्रैल को नीतीश कुमार, राबड़ी देवी द्वारा दी गई इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे। नीतीश करीब 5 साल पहले 2017 में मकर संक्राति के मौके पर राबड़ी देवी के घर पहुंचे थे। ऐसे में उनका राबड़ी देवी के घर जाना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना गया था। और अब एक बार फिर 6 दिन बाद आज यानी 28 अप्रैल को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव इफ्तार पार्टी के बहाने मिलने जा रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने 22 अप्रैल को हुई मुलाकात के सियासी मायने नहीं निकालने की बात कही थी। राजद और जद(यू) का गठबंधन 2017 में टूट गया था और नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। और उसके बाद साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर भाजपा और जद(यू) ने मिलकर सरकार बनाई । लेकिन भाजपा सबसे ज्यादा सीटों के साथ जहां सबसे बड़ी पार्टी बन गई, वहीं जद (यू) तीसरे नंबर पर आ गई। जिसके बाद से विपक्ष यह कहता रहा है कि नीतीश कुमार दबाव में काम कर रहे हैं। और राजद भी उन्हें वापस आने का ऑफर दे रही है।
यूपी में भी चाचा-भतीजा का खेल
बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी प्रमुख अखेलिश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के भी चाचा-भतीजा का खेल चल रहा है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद जहां अखिलेश चाचा शिवपाल को ज्यादा तवज्जों देने के मूड में नहीं है। वहीं शिवपाल भतीजे की बेरूखी के बाद दल बदलने के संकेत दे रहे हैं। यही नहीं वह सपा में नाराज आजम खान गुट से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। अब देखना है कि यूपी और बिहार चाचा-ंभतीजे की राजनीति क्या गुल खिलाती है।