नई दिल्ली: अगले कुछ महीनों में पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सबकी नजरें हैं। उन्हें इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) से काफी कड़ी टक्कर मिल रही है। वो बीजेपी के शीर्ष नेताओं के निशाने पर हैं। ममता बनर्जी अपने गर्म तेवरों के लिए खबरों में बनी रहती हैं। यहां हम आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बताएंगे, जिससे पता चलेगा कि उनका स्वभाव कितना आक्रमक है।
दरअसलस, दिसंबर 1998 में उन्होंने समाजवादी पार्टी (SP) के एक सांसद को कॉलर से पकड़ लिया था और उन्हें महिला आरक्षण बिल का विरोध करने से रोकने के लिए लोकसभा से बाहर कर दिया था। इससे पहले 1975 में वो समाजवादी कार्यकर्ता और राजनेता जयप्रकाश नारायण की कार पर चढ़ गईं थी और अपना विरोध जताया था।
जेपी की कार पर चढ़ गई थीं
यह घटना तब हुई थी, जब जयप्रकाश नारायण कोलकाता के दौरे पर गए थे। जेपी ने साथी नेताओं के साथ कोलकाता में प्रवेश किया और शहर में एक विशाल सभा को संबोधित करने वाले थे। जैसे ही उनका काफिला शहर में दाखिल हुआ, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जेपी के काफिले को रास्ते में रोक दिया। बताया जाता है कि इसी दौरान ममता बनर्जी जेपी की कार के बोनट पर चढ़ गईं और जमकर नारेबाजी की।
15 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री करने वाली ममता बनर्जी ने 1997 में पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सोमेंद्र नाथ मित्रा के साथ राजनीतिक विचारों में अंतर के कारण कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और मुकुल रॉय के साथ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की संस्थापना कर दी थी।
बन गईं हैं BJP की धुर विरोधी
कभी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहीं ममता बनर्जी अब भाजपा पर जमकर हमला करती हैं और उसकी धुर विरोधी हैं। ममता बनर्जी ने मंगलवार को खुद की तुलना रॉयल बंगाल टाइगर से करते हुए कहा कि वह एक कमजोर व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें भाजपा द्वारा डराया जा सकता है। मुर्शिदाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि मैं कमजोर हूं, मैं किसी भी चीज से डरने वाली व्यक्ति नहीं हूं। मैं एक मजबूत व्यक्ति हूं और जब तक मैं जीवित हूं तब तक अपना सिर ऊंचा रखूंगी और तब तक मैं रॉयल बंगाल टाइगर की तरह रहूंगी। एक और रैली में उन्होंने कहा कि भाजपा ने देश को शवदाह गृह में तब्दील कर दिया है, बंगाल में ऐसा नहीं होने देंगे।