- राज्यसभा के 12 निलंबित सांसदों के मुद्दे पर विपक्षी दलों की बैठक
- इस सत्र में हिस्सा लेने की नहीं मिली अनुमति
- मानसून सत्र के दौरान किया था हंगामा
संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा के 12 सांसदों को उनके बर्ताव के लिए निलंबित कर दिया गया था। 29 नवंबर को जब शीतकालीन सत्र की शुरुआत हुई तो राज्यसभा स्पीकर मे इस सत्र के शेष दिनों के लिए अपने फैसले को बहाल रखा। यानी कि निलंबित सांसद इस सत्र में भी हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इस विषय पर विपक्षी दलों से बैठक बुलाई है। इस बीच कांग्रेस के कद्दावर नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। सांसदों को सदन के नियमों के खिलाफ निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई 12 सांसदों के निलंबन पर राज्यसभा में विपक्षी एलओपी की आवाज का गला घोंटने जैसा है।
11 अगस्त को क्या हुआ था
11 अगस्त को विपक्षी सांसद टेबल पर खड़े हुए, कुर्सियों पर फाइल फेंकी, राज्यसभा के कर्मारियों के कार्य में बाधा डाला, कुछ सांसदों का व्यवहार हिंसक था। 11 अगस्त को इंश्योरेंस बिल पर राज्यसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ था। हालात यहां तक पहुंचे के उग्र सांसदों पर काबू पाने के लिए मॉर्शल तक बुलाने पड़े। राज्यसभा में सांसदों के इस कृत्य को सभापति वेंकैया नायडू ने शर्मसार करने वाला बताया था। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र के मंदिर को अपमानित किया गया है। हंगामे पर केंद्र सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और माफी की मांग की थी।
किन लोगों को किया गया था निलंबित
प्रियंका चतुर्वेदी, डोला सेन, एलमारन करीमस फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रसाद सिंह, बिनॉय विश्वम, शांता क्षेत्री और अनिल देसाई शामिल थे। निलंबित सांसदों का कहना था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। वो सिर्फ अपनी बात रख रहे थे। साजिशन उन्हें बोलने से रोका गया। बड़ी बात यह है कि उन लोगों की छवि को देश के सामने धुमिल की गई है।
सरकार का क्या था पक्ष
मानसून सत्र में राज्यसभा के 12 सांसदों द्वारा हंगामे को संसदीय इतिहास में निंदनीय और शर्मनाक बताया गया था। इस संबंध में संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने राज्यसभा सभापति को खत भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि संसद चर्चा के लिए बना है ना कि हिंसा के लिए। मुद्दाविहीन विपक्ष को जब लगा कि देश के सामने उसकी पोल पट्टी खुल रही है तो हंगामे का सहारा लिया। सरकार, सदन से सभापति से मांग करती है कि हो हल्ला मचाने वाले सांसदों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए जो आने वाले समय के लिए नजीर बने।