नई दिल्ली: देश में जिस तेजी से कोरोना वायरस के मामले सामने आए, उसमें बहुत बड़ा हाथ तब्लीगी जमात का माना गया। पिछले महीने दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज से हजारों जमातियों को निकाला गया, इसके बाद लगातार अलग-अलग राज्यों से कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई। मरकज में धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद जमाती अलग-अलग राज्यों में चले गए।
शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश के कुल मामलों में से लगभग 30 प्रतिशत निजामुद्दीन मरकज से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु में सबसे ज्यादा मामले हैं, इसके बाद दिल्ली में तब्लीगी जमात के मामले हैं। मंत्रालय ने बताया, 'कुल 14378 मामलों में से 4291 (29.8%) मामले निजामुद्दीन मरकज से जुड़े हुए हैं और 23 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इससे प्रभावित हैं। तमिलनाडु में 84% मामले इससे जुड़े हैं। वहीं दिल्ली में 63% मामले, तेलंगाना में 79% मामले, उत्तर प्रदेश में 59% मामले और आंध्र प्रदेश में 61% मामले इस कार्यक्रम से संबंधित हैं।'
वहीं उत्तराखंड में कोरोना वायरस के ताजा मामलों में 9 महीने का एक नवजात शिशु भी शामिल है जो अपने पिता के संपर्क में आने के कारण संक्रमित हुआ। शिशु का पिता तब्लीगी जमात के जलसे से वापस आया था। शिशु का पिता तबलीगी जमात के उन दस सदस्यों में से एक है जिनका देहरादून में कोविड-19 का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हालांकि शिशु की मां में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है।
सबसे ज्यादा मौतें 75 साल से उम्र वालों की
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया, 'देश के 22 जिलों में 14 दिन से कोविड-19 का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है। वहीं भारत में कोविड-19 के कारण मृत्युदर करीब 3.3 प्रतिशत है। कोविड-19 से हुई मौतों में 14.4 प्रतिशत की उम्र 45 वर्ष से कम थी जबकि 10.3 प्रतिशत मामलों में मृतकों की उम्र 45 से 60 साल के बीच थी जबकि 33.1 प्रतिशत मामलों में मृतक की उम्र 60 से 75 साल के बीच थी वहीं 42.2 प्रतिशत मामलों में मृतक की उम्र 75 साल या उससे ज्यादा थी।