- हरियाणा के मेवात में जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे रोहिंग्या
- कुछ राज्य सरकारों को खत लिखकर संदिग्ध रोहिंग्याओं की कोविड-19 टेस्ट की सलाह
- केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकारों को रोहिग्याओं के कैंपों की सूची भी सौंपी गई
नई दिल्ली। देश के अलग अलग राज्यों से कोरोना संक्रमण के जितने भी मामले सामने आ रहे हैं उनमें तब्लीगी जमात का कहीं न कहीं लिंक निकल रहा है। ज्यादातर राज्यों में कोरोना मरीजों के लिए जमात 40 से लेकर 60 फीसद तक जिम्मेदार है। अब इस तरह की खबरे है कि जमात के कार्यक्रमों में रोहिंग्या भी शामिल हुए थे और उनका भी कोविड-19 टेस्ट कराया जाना चाहिए।
गृहमंत्रालय का राज्यों को खास निर्देश
इस संबंध में गृहमंत्रालय ने कई राज्य सरकारों को खत लिखकर उन संदिग्ध रोहिंग्या के टेस्ट पर बल दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से नई दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा के उन जगहों के नाम दिए गए हैं जहां रोहिंग्या रहते हैं। गृहमंत्रालय का कहना है कि रोहिंग्या हरियाणा के मेवात में जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और वो अपने कैंपों में नहीं लौटे हैं, लिहाजा कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। ऐसे लोगों का ट्रेसिंग, टेस्टिंग और क्वारंटीन बेहद जरूरी है।
कोरोना खतरे के लिए जमात भी जिम्मेदार
तब्लीगी जमात और कोरोना केस के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की तरफ से मौलाना साद के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जमात में शामिल विदेशी नागरिकों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने वीजा नियमों का उल्लंघन किया था। निजामुद्दीन मरकज से 2300 से अधिक लोगों को बाहर निकाला गया था जिनमें 500 से ज्यादा विदेशी नागरिक थे।
पैंतरेबाज निकला मौलाना साद
बड़ी बात यह है कि मौलाना साद के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। लेकिन वो सशरीर जांच प्रक्रिया में शामिल होने से बच रहा है। साद ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक खत लिखकर पूछा है कि उसके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज की गई है उसमें और कौन सी धाराएं जोड़ी गई हैं। वो कहता है कि जांच प्रक्रिया में शामिल है, उसकी तरफ से पुलिस द्वारा दिए गए नोटिस का जवाब भी दिया गया है।