नई दिल्ली: देश में वर्ष 2019 में विभिन्न कारणों से दुर्घटनाओं में कुल 4,21,104 लोगों की मौत हुई, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चला। 2019 के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के कुल 4,37,396 मामले सामने आए, जिसमें 1,54,732 लोगों की मौत हुई। सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों में से 38 प्रतिशत दोपहिया वाहनों के सवार थे, इसके बाद ट्रक, लॉरी, कार और बसें शामिल थीं, जिनकी सड़क दुर्घटना में मौत 14.6, 13.7 और 5.9 प्रतिशत थी।
सड़क दुर्घटनाओं में बहुतायत मामले (59.6 प्रतिशत) ओवरस्पीडिंग के कारण हुए, जिससे 86,241 मौतें हुईं और 2,71,581 लोग घायल हुए। खतरनाक और लापरवाह ड्राइविंग या ओवरटेकिंग ने 25.7 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं में योगदान दिया, जिससे 42,557 लोग मारे गए और 1,06,555 लोग घायल हुए। इसके अलावा, केवल 2.6 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं खराब मौसम की स्थिति के कारण थीं।
ग्रामीण क्षेत्रों में 59.5 प्रतिशत (2,60,379 मामले) और शहरी क्षेत्रों 40.5 प्रतिशत (1,77,017 मामले) मसड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं।आवासीय क्षेत्रों के पास कुल सड़क दुर्घटनाओं के 29.9 प्रतिशत (4,37,396 मामलों में से 1,30,943 मामले) दर्ज किए गए।
NCRB के अनुसार, वर्ष के दौरान कुल 4,67,171 ट्रैफिक एक्सीडेंट हुए जिसमें 4,37,396 सड़क दुर्घटनाएँ, 1,788 रेलवे क्रॉसिंग दुर्घटनाएँ और 27,987 रेल दुर्घटनाएँ हुईं। इन दुर्घटनाओं में 4,42,996 व्यक्तिय घायल और 1,81,113 लोगों की मृत्यु हुई।
NCRB के अनुसार, प्रकृति की शक्तियों के कारण देश में कुल 8,145 मौतें हुईं। प्रकृति की ताकतों के कारण हुई 8,145 आकस्मिक मौतों में से 35.3 प्रतिशत मौतें बिजली की वजह से हुईं, 15.6 प्रतिशत मौतें गर्मी / सनस्ट्रोक की वजह से और 11.6 प्रतिशत मौतें बाढ़ के कारण हुईं।
पिछले साल 32,563 दिहाड़ी मजदूरों, 10,281 किसान, खेतिहर मजदूरों ने की आत्महत्या
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 में करीब 43,000 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की। वर्ष के दौरान देशभर में कुल 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की।आंकड़ों के अनुसार, वर्ष के दौरान 32,563 दिहाड़ी मजदूरों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। कुल मामलों में यह संख्या लगभग 23.4 प्रतिशत रही। वहीं एक साल पहले 2018 में यह संख्या 30,132 थी।
एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,281 लोगों (जिसमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं) ने आत्महत्या की। यह संख्या देश में 2019 के आत्महत्या के कुल 1,39,123 मामलों का 7.4 प्रतिशत है।इससे पहले 2018 में खेती किसानी करने वाले कुल 10,349 लोगों ने आत्महत्या की थी। यह संख्या उस साल के कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत थी।केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले, एनसीआरबी ने कहा कि वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाले 5,957 किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं। वहीं वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले कुल 4,324 खेतिहर मजदूरों में से, 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थीं।
आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र से (38.2 प्रतिशत), कर्नाटक (19.4 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (5.3 प्रतिशत) और छत्तीसगढ़ और तेलंगाना (4.9 प्रतिशत प्रत्येक) से हैं।हालांकि, एनसीआरबी ने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मणिपुर, केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी से किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों की ‘‘आत्महत्या का कोई मामला नहीं रहा है।’’कुल मिलाकर, देश में 2019 में 1,39,123 आत्महत्यायें हुई, वहीं 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 आत्महत्यों के मामलों की सूचना है। वर्गीकरण के हिसाब से, सर्वाधिक आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मजदूर (23.4 प्रतिशत) हैं जिनके बाद गृहिणियां (15.4 प्रतिशत) रही हैं। इसके बाद स्वरोजगार करने वाले (11.6 प्रतिशत), बेरोजगार (10.1 प्रतिशत), पेशेवर या वेतनभोगी (9.1 प्रतिशत), छात्र और कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति (दोनों 7.4 प्रतिशत), और सेवानिवृत्त व्यक्ति (0.9 प्रतिशत) ने आत्महत्या की है।
एनसीआरबी ने कहा कि 14.7 प्रतिशत आत्महत्या करने वाले पीड़ित ‘‘अन्य व्यक्तियों’’ की श्रेणी में आते हैं। वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वालों में 66.7 प्रतिशत शादीशुदा थे जबकि 23.6 प्रतिशत कुंवारे थे। आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या करने वाले पीड़ितों की शैक्षिक पृष्ठभूमि से पता चला है कि कुल आत्महत्या करने वाले पीड़ितों में से 12.6 प्रतिशत (17,588) अनपढ़ थे, जबकि केवल 3.7 प्रतिशत (5,185) स्नातक और इससे ऊपर के थे। वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वालों में सबसे बड़ी संख्या 23.3 प्रतिशत (32,427) मैट्रिक तक पढ़े लोगों की रही। वहीं 19.6 प्रतिशत (27,323) माध्यमिक स्तर तक पढ़ने वालों और 16.3 प्रतिशत (22,649) प्राथमिक स्कूल तक पढ़े लोगों की रही। इसके बाद 14 प्रतिशत (19,508) आत्महत्या करने वाले उच्चतम माध्यमिक अथवा इंटरमीडिएट तक पढ़े लोगों की रही।