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Gobar therapy in Ahemadabad: गोबर थेरैपी के जरिए कोरोना संक्रमण से बचने की कवायद, उम्मीद या अंधविश्वास

Updated May 12, 2021 | 10:25 IST

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लोग अलग अलग तरह के उपाय आजमां रहे हैं। अहमदाबाद में कुछ लोग गोबर थिरैपी पर भरोसा कर रहे हैं। लेकिन डॉक्टरों ने इसे कारगर नहीं बताया है।

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अहमदाबाद में गोबर के जरिए कोरोना से बचने की कवायद
मुख्य बातें
  • अहमदाबाद में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग कर रहे हैं गोबर थिरैपी का इस्तेमाल
  • डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए गोबर थिरैपी कारगर नहीं

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में क्या गोबर थिरैपी कारगर है, यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अहमदाबाद में कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए गोबर और गोमूत्र का सेवन कर रहे हैं। यह बात अलग है कि जानकारों के मुताबिक इससे किसी तरह का फायदा नहीं होता है। लेकिन लोगों को लगता है कि इस महामारी के दौर में कोरोना से बचने का यह उपाय कारगर है। 

अहमदाबाद में गोबर थेरैपी
श्रीस्वामीनारायण शुक्ल गुरुकुल विश्वविद्यालय प्रतिस्थानम में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में गोबर थिरैपी इस्तेमाल में लाई जा रही है। कुछ लोगों ने पहले अपने शरीर पर गोबर का लेप किया और बामें दूध से स्नान किया। लोगों का तर्क है इस तरह के उपाय से उन्हें राहत मिल रही है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इसके पीछे किसी तरह का आधार नहीं है। 

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में गोबर थेरैपी कारगर नहीं
 डॉक्टर गाय के गोबर का उपयोग करने की प्रथा के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह मानना सही नहीं होगा कि गोबर थिरैपी से कोविड -19 नष्ट हो जाएगा। गोबर की प्रभावशीलता का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है और इससे अन्य बीमारियों के फैलने का खतरा है। कोरोनावायरस महामारी से भारत में 22,992,517 मामले और 2,50,025 मौतें हुई हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या पांच से 10 गुना अधिक हो सकती है। देश भर के नागरिक अस्पताल के बेड, ऑक्सीजन, या दवाओं को खोजने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे कई लोग इलाज के अभाव में मर जाते हैं।

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