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Petrol Diesel Price: सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी सरकार को घेरा, कभी कभी जनता की आवाज स्पष्ट होती है

Updated Feb 19, 2021 | 18:57 IST

पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बीजेपी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है।

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सुब्रमण्यम स्वामी, बीजेपी के कद्दावर नेता
मुख्य बातें
  • 11वें दिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा
  • पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर

नई दिल्ली।  पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है। देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 के पार है और जनता कराह रही है। इन सबके बीच बीजेपी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि सरकार इसमें कुछ हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें तो अब बाजार से नियंत्रित होती हैं। लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने सरकार को घेरा है। 

कभी कभी जनता मुखर हो जाती है
सुब्रमण्यम  स्वामी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि लोगों की आवाज शायद ही कभी स्पष्ट और बुलंद होती है। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है। पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर जनता में आम राय है (पॉर्न वेंडरों, आईफोन चोरों और फेक आईडी वाले ट्विटराती को छोड़कर) कि बढ़ती कीमत शोषण करने वाली है। इसलिए सरकार को लेवीज को हटाना चाहिए।

11वें दिन लगातार कीमतों में बढ़ोतरी
पेट्रोल की कीमत शुक्रवार (19 फरवरी) को दिल्ली में पहली बार 90 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गई और डीजल की कीमत ने भी परिवहन ईंधन पर उच्च टैक्स (उत्पाद शुल्क और वैट या मूल्य वर्धित कर) के रूप में एक रिकॉर्ड बनाया। लगातार 11वें दिन तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की। आज देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीजल के दाम 27 से 35 पैसे प्रति लीटर बढ़ गए हैं।

ओपेक से पेट्रोलियम मंत्री की अपील
बुधवार को पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के सदस्यों से कच्चे तेल के उत्पादन को नियंत्रित करने और कीमतों को कम करने के लिए आग्रह किया था। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, आयात के माध्यम से अपने तेल की जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक पूरा करता है।

बुधवार को, जब राजस्थान के श्री गंगानगर और मध्य प्रदेश में पहली बार पेट्रोल ने 100 रुपए का आंकड़ा पार किया था, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अगर पहले की सरकारें भारत के ऊर्जा आयात निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित की होतीं तो मध्यवर्ग पर बोझ नहीं पड़ता। भारत ने अपनी 2019-20 जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत तेल और 53 प्रतिशत गैस  आवश्यकताओं का आयात किया। 

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