- मोदी और मैंक्रों के बीच रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध भी वार्ता का अहम मुद्दा रहेगा।
- दोनों देशों के बीच रक्षा,प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और ऊर्जा के मसलों पर भी बातचीत होगी।
- पी-75आई परियोजना से पीछे हटी फ्रांस की कंपनी
PM Modi and Macron Meet: अपने यूरोपीय दौरे के अंतिम चरण में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस में होंगे। इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी, हाल ही में फ्रांस के दोबारा राष्ट्रपति बने इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा,प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और ऊर्जा के मसलों पर बातचीत होगी। इसके अलावा मोदी और मैंक्रों के बीच रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध भी वार्ता का अहम मुद्दा रहेगा। और दोनों नेता युद्ध को समाप्त करने के मसले पर चर्चा कर सकते हैं। इसके पहले डेनमार्क यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा था कि युद्ध खत्म करने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है।
ये मुद्दे रहेंगे अहम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बुधवार को अपनी बैठक के दौरान यूक्रेन संकट से दुनिया पर हो रहे असर को कम करने के साथ-साथ युद्धग्रस्त देश (यूक्रेन) में शत्रुता को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं। इसके अलावा रक्षा निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की भारत की आकांक्षा में फ्रांस कैसे भारत का पसंदीदा साझेदार बना रह सकता है। इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी। इन मुद्दों के अलावा प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी दोनों देश बातचीत करेंगे। वार्ता में क्षेत्र हिंद-प्रशांत में चुनौतियों से एकजुट होकर निपटने पर भी जोर दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच राफेल समझौते बेहद अहम रहा है।
पी-75आई परियोजना से पीछे हटी फ्रांस की कंपनी
इसके पहले मंगलवार को फ्रांसीसी कंपनी नेवल ग्रुप ने भारत में पनडुब्बी निर्माण परियोजना से हाथ खींच लिया है। कंपनी ने कहा है कि केंद्र की पी-75आई परियोजना में भाग लेने में वह असमर्थ है और इसकी वजह एआईपी प्रणाली से संबंधित प्रस्ताव के लिये आरएफपी में दी गई शर्तें हैं। जिसे पूरा करने में वह असमर्थ है।इस परियोजना के तहत भारतीय नौसेना के लिए छह परंपरागत पनडुब्बियों का निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाना है। एआईपी प्रणाली एक पारंपरिक पनडुब्बी को अधिक समय तक उच्च गति पर पानी में डूबे रहने की क्षमता प्रदान करती है।
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रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल जून में पी-75आई परियोजना को हरी झंडी दी थी और आरएफपी जारी कर दो भारतीय कंपनियों का चयन किया था, जिनमें निजी कंपनी लार्सन एंड टूब्रो और सरकारी क्षेत्र की कंपनी माझगांव डॉक लिमिटेड शामिल है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन दोनों भारतीय कंपनियों (जिन्हें रणनीतिक साझेदार कहा गया है) को पांच चयनित विदेशी कंपनियों में से एक के साथ साझेदारी करनी है। इनमें फ्रांस का नेवल समूह भी है। इसके तहत 43,000 करोड़ रुपये का समझौता होगा। परियोजना से पीछे हटने की वजह पर नेवल ग्रुप इंडिया के प्रबंध निदेशक लॉरेंट विदीयू ने मंगलवार ने एक बयान में कहा कि मौजूदा आरएफपी में आवश्यक है कि फ्यूल सेल एआईपी समुद्र में प्रमाणित हो, जो कि हमारे लिहाज से उपयुक्त नहीं है, क्योंकि फ्रांसीसी नौसेना इस तरह की प्रोपल्सन सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करती।
(एजेंसी इनपुट के साथ)