नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को देश को संबोधित किया पीएम मोदी इस संबोधन में कई मुद्दों का जिक्र किया वहीं अपने संबोधन में पीएम मोदी ने विनोबा भावे की "जय जगत" फिलॉसपी का जिक्र भी किया, ऐसा उन्होंने देश के लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए किया। विनोबा के जय जगत के दर्शन को समझने की आवश्यकता इस परिवेश में बेहद सारगर्भित होगा।
पीएम ने देश के लोगों से कहा कि विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है।
पीएम ने कहा कि जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई (PPE) किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं।
पीएम ने कहा कि विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत"। एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है।
पीएम ने कहा कि कोरोना से मुकाबला करते हुए दुनिया को 4 महीने हो गए। 42 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हुए हैं और पौने तीन लाख लोगों की मौत हुई है। एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है