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'देश में नई जमात पैदा हुई है- आंदोलनजीवी, जो खुद कुछ नहीं करते, कहीं आंदोलन चल रहा हो तो जा के बैठ जाते हैं'

Updated Feb 08, 2021 | 12:10 IST

पीएम मोदी ने आज राज्यसभा में संसद के सयुंक्त सदन को संबोधित करते हुए किसान आंदोलन सहित कई मुद्दों पर बात की। इस दौरान पीएम ने एक ऐसा शब्द कहा जो अब सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा है, जो है आंदोलनजीवी।

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'श्रमजीवी-बुद्धिजीवी.. अब आन्दोलनजीवी, ये है देश की नई जमात'
मुख्य बातें
  • श्रमजीवी-बुद्धिजीवी... पर अब एक नई जमात पैदा हो गई है -आन्दोलनजीवी, जो परजीवी होते हैं: PM मोदी
  • पीएम मोदी ने राज्यसभा में दिया भाषण कई मुद्दों पर रखी बात
  • देश में नई जमात पैदा हो गई है- आंदोलनजीवी, जो खुद का कुछ नहीं करते. किसी का आंदोलन चल रहा हो, जा के बैठ जाते हैं

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि बातचीत का दरवाजा हमेशा खुला है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने बुद्धिजीवी सुना था, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहां पहुंच जाते हैं। 

आंदोलन जीवी

पीएम मोदी ने कहा, 'हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, जैसे श्रमजीवी, बुद्धिजीवी... ये सभी शब्दों से परिचित हैं लेकिन पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं कि देश में एक नई जमात पैदा हो गई है, एक नई बिरादरी पैदा हुई है और ये आंदोलनजीवी। ये जमात आप देखोगे.. वकीलों का आंदोलन हैं वहां नजर आएंगे, स्टूडेंट का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे..मजदूरों का आंदोलन है वो वहां नजर आएंगे। कभी पर्दे के पीछे तो कभी पर्दे के आगे.. ये पूरी टोली है, जो आंदोलन जीवी है। यह आंदोलन के बगैर जी नहीं सकती हैं और आंदोलन के जरिए जीने के लिए रास्ते खोजते हैं। हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा। ये हर जगह पहुंचकर गुमराह करते हैं...देश आंदोलनजीवी लोगों से सावधान बचे इसके लिए हम सबको.. वो खुद खड़ा नहीं कर सकते हैं चीजें. किसी का चल रहा हो तो जाकर बैठ जाते हैं वहां पर.. ये सारे आंदोलन जीवी परजीवी होते हैं।'

कही ये बात

इससे पहले पीएम मोदी ने कहा, ‘पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच....। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है। यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’

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