- पीएम मोदी ने लालकिले की प्राचीर से दिया करीब 82 मिनट का भाषण
- इस दौरान पीएम ने तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को किया नमन
- अशफकाउल्ला खान और हजरत महल का जिक्र कर ओवैसी को दिया जवाब
PM Modi on Hajrat Mahal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जश्न-ए-आजादी के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आजादी का 76वां स्वतंत्रता दिवस एक ऐतिहासिक दिन है और यह एक पुण्य पड़ाव, एक नयी राह, एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का शुभ अवसर है। आजादी के नायकों को याद करते हुए पीएम मोदी ने महापुरुषों को नमन किया। इस दौरान पीएम ने क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खां और बेगम हजरत महल का जिक्र कर AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को भी मुंहतोड़ जवाब दिया।
क्या कहा पीएम ने
महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, '। आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरूष को, हर त्यागी को, हर बलिदानी को नमन करने का अवसर है। उनका ऋण स्वीकार करने का अवसर है और उनका स्मरण करते हुए उनके सपनों को जल्द से जल्द पूरा करने का संकल्प लेने का भी अवसर है। हम सभी देशवासी कृतज्ञ है, पूज्य बापू के, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के, बाबा साहेब अम्बेडकर के, वीर सावरकर के, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर जीवन को खपा दिया। कर्तव्य पथ ही उनका जीवन पथ रहा। यह देश कृतज्ञ है, मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकुमत की नींव हिला दी थी। यह राष्ट्र कृतज्ञ है, उन वीरांगनाओं के लिए, रानी लक्ष्मीबाई हो, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चेनम्मा, बेगम हजरत महल, वेलु नाच्चियार, भारत की नारी शक्ति क्या होती है।'
ओवैसी ने कही थी ये बात
कुछ दिन पहले ही ओवैसी ने हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लालकिले से खड़े होकर मुल्क से संवाद करेंगे तो मजलूमों का भी जिक्र करेंगे। उम्मीद है कि पीएम जब तिरंगा फहराएंगे तो अल्लामा फैजल खैराबादी का, मौलाना महमूद उल हसन का, हुसैन अहमद मदनी का, मौलाना काफी का, अशफाकउल्लाह का जिक्र करेंगे। ' ट्वीट्स की एक श्रंखला में बेगम हजरत महल को लेकर कई तथ्य सामने रखे थे। अपने एक ट्वीट में ओवैसी ने कहा था, 'लिखा होगा हज़रत महल की लहद पर नसीबों की जली थी, फलक की सताई। जब भी 1857 के 'स्वतंत्रता संग्राम' पर बात होगी। बेगम हज़रत महल का नाम बड़े एहतिराम से लिया जाएगा। बेगम हजरत महल 1857 की आज़ादी की पहली लड़ाई की अकेली साहिब हिम्मत ख़ातून थीं जिन्हें अंग्रेज़ कभी पकड़ नहीं पाए।'