- देश में कोरोना के नए मामलों में तेजी से आया है उछाल
- कोरोना की स्थिति पर मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम की बैठक
- बैठक में कोरोना से निपटने के लिए नई रणनीति बन सकती है
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आज राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ आज वर्चुअल बैठक होगी। इस बैठक में देश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। बैठक कोरोना के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने एवं वैक्सीन को लेकर कोई रणनीति सामने आ सकती है। पिछले कुछ दिनों में कोरोना के नए मामलों में काफी तेजी आई है। पिछले दो दिनों में संक्रमण के मामले एक लाख को पार कर गए हैं। कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए कई राज्यों ने अपने यहां नाइटकर्फ्यू लगा दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि संक्रमण के लिहाज से आने वाले चार सप्ताह काफी महत्वपूर्ण हैं।
पांच दिनों में कोविड पर पीएम की यह दूसरी बैठक
ध्यान देने वाली बात यह है कि पिछले पांच दिनों में यह दूसरी बार है जब प्रधानमंत्री देश में कोरोना की स्थिति की समीक्षा के लिए बैठक कर रहे हैं। गत रविवार को हुई बैठक में पीएम मोदी ने कोरोना से ज्यादा प्रभावित राज्यों महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भेजने का फैसला किया। इस बैठक में पीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राज्यों में 'टेस्टिंग, ट्रैसिंग, ट्रीटमेंट', कोविड-19 के लिए उपयुक्त व्यवहार और टीकाकरण को सख्ती से लागू कराना सुनिश्चित कराएं।
सबसे ज्यादा नए केस महाराष्ट्र से
देश में कोरोना के सबसे ज्यादा नए केस महाराष्ट्र से आ रहे हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा कि राज्य में कोरोना वैक्सीन की कमी हो गई है और टीकाकरण केंद्रों से लोगों को लौटाया जा रहा है। टोपे के इस बयान को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने खारिज किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना से निपटने में महाराष्ट्र सरकार की नाकामी छिपाने और लोगों का ध्यान भटकाने के लिए मंत्री इस तरह का बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में टीके की कोई कमी नहीं है।
हर्षवर्धन ने टोपे के बयान को खारिज किया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टीकों की कमी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। महाराष्ट्र द्वारा की जा रही जांचें पर्याप्त नहीं हैं और संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाना भी संतोषजनक नहीं है। उन्होंने एक कड़े बयान में कहा, 'यह देखकर स्तब्ध रह जाते हैं कि राज्य सरकार निजी वसूली की खातिर लोगों को संस्थागत पृथकवास की अनिवार्यता से छूट देकर महाराष्ट्र को खतरे में डाल रही है।' उन्होंने कहा, 'कुल मिलाकर, जैसा कि राज्य एक संकट से निकल दूसरे में पड़ रहा है, ऐसा लग रहा है कि राज्य नेतृत्व को अपनी जिम्मेदारियों की कोई चिंता नहीं है।'