- प्रधानमंत्री मोदी के वाहन काफिले में मर्सडीज मेबैक एस 650 गार्ड कार शामिल की गई है
- मीडिया रिपोर्टों में इस कार की कीमत 12 करोड़ रुपए बताई गई है, जबकि इसकी कीमत कम है
- सरकार के सूत्रों ने कहा है कि पीएम की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक करना उचित नहीं है
नई दिल्ली : इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कार चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, एसपीजी ने प्रधानमंत्री के काफिले में इस्तेमाल के लिए दो नई कारों को शामिल किया है। इस कार का नाम मर्सडीज मेबैक एस 650 गार्ड है। इस कार को सुरक्षा के लिहाज से काफी मजबूत और खतरों को टालने वाला माना जा रहा है। साथ ही मीडिया रिपोर्टों में प्रति कार की कीमत 12 करोड़ रुपए बताया गया है। एसपीजी ने काफिले में शामिल हो चुकीं पुरानी कारों को रिप्लेस किया है। प्रधानमंत्री हाल के समय तक अपने काफिले में शामिल रेंज रोवर वोग और टोयोटा लैंड क्रूजर की सवारी करते रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नई दिल्ली दौरे के समय प्रधानमंत्री मोदी पहली बार इस नई मर्सिडीज-मेबैक एस 650 की सवारी करते नजर आए।
'पीएम की सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक करना ठीक नहीं'
मीडिया रिपोर्टों में इस नई कार की कीमत एवं उसकी सुरक्षा पहलुओं से जुड़े ब्योरे बताए गए हैं। इस पर सरकार के सूत्रों ने कहा है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा को देखते हुए संवेदनशील जानकारियां सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस नई कार की कीमत उतनी नहीं है जितनी कि बताई जा रही है।
'बताई जा रही कीमत का एक तिहाई है मूल्य'
सरकार के सूत्रों का कहना है कि मीडिया रिपोर्टों में नई मेबैक कार की कीमत 12 करोड़ रुपए बताई गई है जबकि इस कार का वास्तविक मूल्य बताई जा रही कीमत का एक तिहाई है। सूत्रों के अनुसार पीएम की सुरक्षा करने वाली एसपीजी का नियम है कि जिस व्यक्ति की सुरक्षा की जा रही है उसकी सुरक्षा में लगे वाहनों को हर छह साल में बदल दिया जाए। पीएम मोदी के सुरक्षा काफिले में लगी कारें आठ साल से उपयोग में आ रही थीं। यहां तक कि ऑडिट करने पर इस मुद्दे को लेकर आपत्ति की गई थी और कहा गया था कि इससे जिस व्यक्ति को सुरक्षा दी जा रही है उसके जीवन से समझौता हो सकता है।
कार अपग्रेड नहीं बल्कि रूटीन रिप्लेसमेंट है -सूत्र
सूत्रों का कहना है कि नई कार अपग्रेड नहीं है। बल्कि रूटीन रिप्लेसमेंट है क्योंकि बीएमडब्ल्यू ने उन कारों को बनाना बंद कर दिया है जो पहले काफिले का हिस्सा थीं। काफिले से जुड़ा खरीद का फैसला प्रोटेक्टी के खतरे के हिसाब से आंका जाता है। यह फैसला एसपीजी स्वयं करती है और इसमें उस व्यक्ति की राय नहीं ली जाती है जिसे सुरक्षा दी जा रही है। पीएम की नई कार के सुरक्षा फीचर के बारे में सार्वजनिक रूप से चर्चा करना राष्ट्रीय हित में नहीं है क्योंकि इससे अनावश्यक रूप से संवेदनशील जानकारी बाहर आती है। इससे उस व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है जिसकी सुरक्षा की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पीएम ने कभी नहीं कहा कि काफिले में कौन सी कार शामिल की जाए। इसके उलट पिछली सरकार में सोनिया गांधी ने उन रेंज रोवर्स कारों का इस्तेमाल किया जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए खरीदी गई थीं।
रिपोर्टों में कार की क्षमता के बारे में बताया गया
मीडिया रिपोर्टों में इस कार की ताकत एवं सुरक्षा फीचर्स को लेकर दावे किए गए हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि मर्सिडीज मेबैक एस 650 के सुरक्षा फीचर्स काफी सशक्त होने के साथ-साथ बाहरी हमलों को झेलने में सक्षम हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि इस कार पर अगर 2 मीटर की दूरी से 15 किलो टीएनटी का विस्फोट किया जाए तो भी उसका असर नहीं होता है। यही नहीं इस कार के शीशे और बॉडी पर एके-47 राइफल की गोलियों का भी असर नहीं होता है। गैस हमले के समय कार में अलग से ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू हो जाती है। कार की अधिकतम स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा बताई गई है।