- मंत्रियों को समूह में बांटने का फैसला मंत्रिपरिषद की पांच बैठकों के बाद किया गया
- 2024 के चुनाव के मद्देनजर ये बैठकें महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं
- एक केंद्रीय मंत्री को समूह समन्वयक बनाया गया है
नई दिल्ली: मंत्रिपरिषद की औपचारिक बैठकों के बाद सरकार के काम में गति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिए बड़ा फैसला लिया है। पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के सभी 77 मंत्रियों को आठ समूहों में बांट दिया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार ऐसा कामकाज में अधिक पारदर्शिता लाने और मोदी सरकार की दक्षता और अधिक बढ़ाने के लिए किया गया है। मंत्रियों को आठ समूहों में बांटने का फैसला मंत्रिपरिषद की पांच बैठकों के बाद किया जिसे चिंतिन शिविर का नाम दिया गया था। इस साल जुलाई में मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार के बाद से ही लगातार मंत्रिपरिषद की बैठकें हुईं। हर बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी।
कुल पांच अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए
प्रत्येक बैठक अनौपचारिक ढंग से आयोजित की गई और करीब पांच घंटे चली। इन बैठकों में विचारों का अनौपचारिक रुप से आदान-प्रदान हुआ। पहले ही बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्री परिषद के अपने सहयोगियों से नए आइडिया मांगे थे। इसका मकसद सरकारी कामकाज में तेजी लाने के लिए और आम आदमी के हितों को नजर में रखकर योजना बनाने के लिए था। पीएम मोदी ने कहा था कि 2024 चुनाव के लिए वक्त कम है और काम बहुत ज्यादा है, इसलिए हमें तेजी से भारत की जनता के लिए काम करना है। कुल पांच अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए और इन बैठकों का विषय था व्यक्तिगत दक्षता, केंद्रीय क्रियान्वयन, मंत्रालय का कामकाज और हितधारकों के साथ मिल कर काम करना। एक बैठक का विषय पार्टी के साथ तालमेल तथा प्रभावी संवाद भी था ताकि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार और पार्टी एक साथ कदमताल कर सकें।
हर समूह में 9 से 10 मंत्री होंगे
पांचवे और अंतिम सत्र का विषय संसदीय कामकाज था जिसमें लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला और राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू शामिल हुए। वेंकैया नायडू और ओम बिरला ने सदन में मंत्रियो की भूमिका कैसे प्रभावी हो इसको लेकर बातें बताईं। इन सभी बैठकों का मकसद मोदी सरकार की कुशलता में वृद्धि करना और डिलीवरी सिस्टम को मजबूत करना था। मंत्रियों के आठ अलग समूह बनाना इसी दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इससे शासन के काम में अधिक सुधार आएगा और मंत्रियों को काम करने में आसानी होगी। हर समूह में 9 से 10 मंत्री होंगे। एक केंद्रीय मंत्री को समूह समन्वयक बनाया गया है और हर समूह के सदस्यों की आपस में चर्चा होगी और समन्वयक की जिम्मेदारी होगी कि कामकाज को सुगम बनाया जाए। इस प्रक्रिया से उन नए मंत्रियों को भी लाभ मिलेगा जिन्हें पहली बार सरकार में काम करने का अवसर मिला है।
मत्रियों ने की कार पूल
पीएम मोदी इन बैठकों में कह चुके हैं कि मंत्रियों को आपस में अधिक मिलना जुलना होगा ताकि आपसी समन्वय बढ़े। इसके लिए उन्होंने टिफिन बैठकों का भी उल्लेख किया जो उनके गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए आयोजित होती थी। इसमें मंत्री और नेता अपने-अपने घर से टिफिन लाते थे और साथ बैठ कर खाना खाते समय सरकार और पार्टी के काम पर चर्चा करते थे। पीएम मोदी ने मंत्रियो के बीच बेहतर तालमेल और ईंधन बचने का संदेश देने के लिए मंत्रिपरिषद की बैठक में मत्रियों को कार पूल करने के लिए कहा था और हर कार में तीन से चार मंत्री इकट्ठे बैठक में आए थे। और ये क्रम आखिरी की 3 बैठकों में रहा जब सभी मंत्री आपस मे कार पुल कर मंत्रिपरिषद की बैठक में आए।
लोगों और कार्यकर्ताओं को न लटकाएं: मोदी
2024 के चुनाव के मद्देनजर ये बैठकें महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। इनका मकसद सरकार को चुस्त-दुरुस्त करना और काम में तेजी तथा पैनापन लाना है ताकि लोगों को शिकायत का मौका न मिले। इसलिए पीएम मोदी ने सभी मंत्रियो से ये भी कहा है कि कार्यकर्ताओं और आम लोगों का काम करें। काम के लिए उन्हें लटकाए नहीं। काम होना हो तो करें नहीं तो मना कर दें, लेकिन बेवजह लोगों और कार्यकर्ताओं को दिल्ली का चक्कर ना लगवाएं।