- 2017 की तरह पार्टी इस बार भी सबसे ज्यादा बूथ मैनेजमेंट पर फोकस कर रही है।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पार्टी में कद बढ़ाकर, भाजपा ने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यूपी का दौरा कर रहे हैं। चुनावों में भी उनकी ज्यादा से ज्यादा रैलियां और रोड शो कराए जाएंगे।
नई दिल्ली: बात 2013 की है, जब 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह को उत्तर प्रदेश का पहली बार प्रभार मिला था। उसके बाद 2014 और 2017 के चुनावों में जो हुआ, उसकी उम्मीद, भाजपा को भी नहीं थी। पार्टी ने 2014 में जहां 80 में से 71 सीटें मिली वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में 403 में से 312 सीटें जीत ली। इसी सफलता को दोहराने के लिए, भाजपा ने एक बार फिर अमित शाह पर भरोसा जताया है। और उन्हीं के नेतृत्व पर पूरी चुनावी रणनीति बनाई जा रही है। इसी कड़ी में भाजपा 2022 में किस रणनीति से चुनावों में जाएगी, उस पर मंथन के लिए गृहमंत्री वाराणसी पहुंच गए हैं। जहां वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आगे की रणनीति पर मंथन कर सकते हैं। इसके अलावा वह गृहमंत्री के तौर पर राजभाषा सम्मेलन में भाग लेंगे।
यूपी मिशन से पहले योगी का कद बढ़ा
2017 जैसी जीत हासिल करने के लिए अमित शाह ने सबसे पहले 29 अक्टूबर लखनऊ का दौरा कर,कार्यकर्ताओं को नया संदेश देने की कोशिश की। उन्होंने सदस्यता अभियान की शुरूआत करते हुए कहा कि अगर 2024 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है तो 2022 में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा।
इसके बाद 7 अक्टूबर को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में योगी आदित्यनाथ से राजनीतिक प्रस्ताव पेश कराया गया। जिससे न केवल उनका कद बढ़ा बल्कि पार्टी और मतदाताओं में संदेश दिया गया कि 2022 में अगर भाजपा चुनाव जीतती है तो योगी आदित्यनाथ ही मुख्यमंत्री होंगे।
2014 और 2017 जैसा इस बार भी बूथ मैनेजमेंट पर जोर
पिछले चुनावों में भाजपा की सफलता के पीछे , उसका बूथ मैनेजमेंट रहा था। इसीलिए पार्टी ने इस बार भी उसी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी ने पूरे प्रदेश में अब तक 50 लाख पन्ना प्रमुख बनाए हैं। इसके अलावा जल्द ही एक लाख 63 हजार बूथों पर बूथ प्रमुखों को भी तैनात किया जाएगा। और वाराणसी में पदाधिकारियों के साथ बैठक में भी अमित शाह का जोर बूथ मैनेजमेंट की रणनीति बनाने पर खास तौर से रहेगा।
मोदी की ज्यादा से ज्यादा रैली और दौरे
पिछले चुनाव की तरह ही इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही पार्टी सबसे ज्यादा दांव खेलेगी। इसका संकेत भी पार्टी ने दे दिया है। प्रधानमंत्री लगातार उत्तर प्रदेश के दौरे कर रहे हैं। चाहे राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास हो, या कुशीनगर एयरपोर्ट और 9 मेडिकल कॉलेज का एक साथ लोकार्पण, सभी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में अब पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का वह उद्घाटन करने 16 नवंबर को पहुंच रहे हैं। इसके अलावा जेवर एयर पोर्ट का शिलान्यास भी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने की संभावना है। इस महीने या फिर दिसंबर में प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भी उद्घाटन कर सकते हैं। कुल मिलाकर चुनावों तक न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यूपी पहुंचते रहेंगे। बल्कि उनकी रैलियां भी बड़े पैमाने पर कराई जाएंगी। इसके अलावा रोड शो भी प्रमुख हथियार रहेगा।
जातिगत समीकरण पर फोकस लेकिन राजभर से मुश्किलें बढ़ी
2017 के चुनावों में भाजपा को पूर्वांचल में सबसे बड़ा फायदा छोटे दलों के साथ गठबंधन करने का मिला था। उस बार पार्टी ने ओम प्रकाश राजभर के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल के साथ गठबंधन किया था। परिणाम यह हुआ कि पार्टी को पूर्वांचल की करीब 150 सीटों में से 100 से ज्यादा सीटें मिल गईं थी।
लेकिन इस बार राजभर भाजपा का साथ छोड़ अखिलेश यादव का दामन थाम चुके हैं। वहीं भाजपा ने अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है। अब देखना यह है कि राजभर का साथ छूटना भाजपा के लिए नुकसानदेह होता है या नहीं। कुल मिलाकर साफ है कि भाजपा ने इस बार यूपी की नैया पार कराने के लिए योगी आदित्यनाथ, अमित शाह और नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।