नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस को लेकर बढ़ते खौफ के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि हर दौर एक नई चुनौती लेकर आता है। लेकिन यह साथ मिलकर उससे निपटने का जज्बा भी पैदा करता है। आज कोरोना वायरस दुनिया के सामने एक ऐसी ही चुनौती है। पीएम मोदी ग्लोबल बिजनेस समिट में बोल रहे थे, जब उन्होंने कोरोना वायरस, सीएए, अनुच्छेद 370 सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी तो विपक्ष निशाने पर भी लिया।
'शरणार्थियों पर उपदेश देने वाले कर रहे सीएए का विरोध'
पीएम मोदी ने कहा, 'जो शरणार्थियों के अधिकारों को लेकर दुनियाभर में उपदेश देते हैं, वे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं, जबकि यह शरणार्थियों के लिए ही है।' उनके इस बयान को जहां सीएए का विरोध करने वाले विपक्षी दलों पर निशाने के तौर पर देखा जाता है, वहीं यह ऐसे समय में आया है, जबकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने भी सीएए पर दखल देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है। हालांकि भारत ने साफ कर दिया है कि यह उसका आंतरिक मामला है और इससे किसी तीसरे विदेशी पक्ष का कोई लेना-देना नहीं है।
'वैश्विक अर्थव्यवस्था कठिन दौर में'
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पीएम मोदी ने कहा, 'आर्थिक बात हो या सामाजिक, आज देश परिवर्तन के एक बड़े दौर से गुजर रहा है। बीते कुछ वर्षों में भारत वैश्विक आर्थिक सिस्टम का और भी मजबूत अंग बना है। लेकिन अलग-अलग कारणों से अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय स्थितियां ऐसी हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर और कठिन हालात में है।'
'जम्मू कश्मीर में संविधान लागू किया'
उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को निरस्त करने किए जाने के अपने सरकार के फैसले का भी जिक्र किया और कहा कि जो लोग हर बात पर संविधान की दुहाई देते हैं, वे जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निस्त कर संविधान लागू किए जाने के खिलाफ हैं।
'यथास्थिति को तोड़ना हमारी प्रतिबद्धता'
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के बारे में हम सुनते रहे, लेकिन यह पद हमने सृजित किया और यथास्थिति को समाप्त किया। यह पद सशस्त्र बलों में तालमेल बढ़ाएगा।' उन्होंने कहा कि कुछ लोग कदम नहीं उठाए जाने को ही सुविधाजन मानते रहे हैं, लेकिन हमारे लिए विकास और सुशासन सुविधा का मुद्दा नहीं रहा है, बल्कि यह हमारी प्रतिबद्धता रही है। यथास्थिति को तोड़ना हमारी प्रतिबद्धता रही है।