- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के विवादित जमीन मामले में सुनाया ऐतिहासिक फैसला
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले पर दी अपनी प्रतिक्रिया
- पीएम मोदी बोले- इस फैसले को हार या जीत के रूप में नहीं देखें
- राम भक्ति, रहीम भक्ति से उपर उठकर ये भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का क्षण है
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन मामले पर आखिरकार ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया भी आ गई है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि अयोध्या पर आए इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अयोध्या मामले में न्यायालय के फैसले से लोगों का न्यायिक प्रणाली पर भरोसा मजबूत होगा। न्याय के मंदिर’ ने दशकों पुराने विवाद को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या मामले में न्यायालय के फैसले के बाद देशवासियों से शांति, एकता और मैत्रीभाव बनाए रखने की अपील की। न्यायालय के फैसले को किसी की हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। आस्थ राम के प्रति हो या रहीम के प्रति, अब समय है कि सब मिलकर भारत के प्रति समर्पण को मजबूत करें।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है- यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है। हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया। न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया।
यह फैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप हम 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है।
अयोध्या पर SC ने क्या सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया और केन्द्र को निर्देश दिया कि मस्जिद निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आबंटित किया जाए।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस व्यवस्था के साथ ही राजनीतिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील 134 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
संविधान पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि मस्जिद का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए और उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।
हालांकि, उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा है कि वह इस पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करेगा। बता दें कि इस विवाद ने देश के सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तार तार कर दिया था।