- एक बार फिर दिवाली मनाने सैनिकों के बीच में पहुंचे पीएम मोदी
- पीएम मोदी राजस्थान के लोंगेवाला बॉर्डर पहुंचे, सीडीएस और थल सेना प्रमुख भी साथ में
- 2014 में पीएम पद संभालने के बाद लगातार सैनिकों के बीच दिवाली मनाते रहे हैं पीएम मोदी
जैसलमेर: देशभर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर लोग अपने प्रियजनों को दिवाली की बधाई दे रहे हैं और इन सबके बीच पीएम मोदी एक बार फिर अपनी दिवाली मनाने के लिए सैनिकों के बीच में पहुंच गए हैं। यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी दिवाली के मौके पर सैनिकों के बीच में पहुंचे हों, वह इससे पहले भी लगाता सैनिकों के साथ ही दिवाली मनाते हुए आए हैं। वर्ष 2014 में कार्यभार संभालने के बाद से प्रधानमंत्री उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के अग्रिम इलाकों में सैनिकों के साथ समय गुजारते हुए दीपावली मनाते रहे हैं । 2018 में वह उन्होंने उत्तरकाशी में सेना और ITBP के जवानों के बीच दीवाली मनाई थी तो 2019 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सैनिकों के बीच पहुंच गए थे।
बीएसएफ की पोस्ट है लोंगेवाला
इस बार पीएम मोदी ने दीवाली मनाने के लिए लोंगेवाला बॉर्डर को चुना है और उनके साथ यहां चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) बिपिन रावत, आर्मी चीफ एमएम नरवणे, एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और बीएसएफ के डीजी राकेश अस्थाना मौजूद हैं। लोगेंवाला बॉर्डर कई मायनों में खास है और इस जगह का नाम सुनते ही आज भी पाकिस्तान कांप जाता है। लोंगेवाला वाला मूल रूप से भारतीय सीमा सुरक्षा बल, यानि बीएसएफ की पोस्ट है।
1971 में पाकिस्तान को मिली थी शिकस्त
1971 में जब भारत पाकिस्तान युद्ध हुआ था तो उसकी शुरूआत यहीं से हुई थी। इश दौरान भारत ने पाकिस्तानी खेमे में जो तबाही के निशान छोड़े थे उसे पाकिस्तान आज भी नहीं भूल पाता है। तीन दर्जन से अधिक टैंकों के साथ युद्ध करने आए पाकिस्तान के 3 हजार से अधिक सैनिकों को जो शिकस्त इश दौरान मिली थी उसकी टीस पाकिस्तान को हमेशा रहेगी।
पीएम ने की थी अपील
इससे पहले पीएम मोदी ने देशवासियों से दिवाली की पूर्व संध्या पर अपील करते हुए कहा था, '‘इस दीपावली हम सभी एक दीया उन सैनिकों के सम्मान में जलाएं जो निडर होकर देश की रक्षा करते हैं। सैनिकों की अनुकरणीय बहादुरी के लिए उनके प्रति शब्दों से कृतज्ञता ज्ञापित करने की भावना न्याय नहीं कर सकती। हम सीमाओं पर डटे सैनिकों के परिवार वालों के प्रति भी कृतज्ञ हैं।'