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शिवगिरी मठ क्यों है खास, मोदी से लेकर गांधी परिवार तक का है नाता

Updated Sep 15, 2022 | 20:21 IST

Sivagiri Mutt: 19वीं सदी के महान संत और समाज सुधारक श्री नारायण गुरुदेव ने शिवगिरी मठ वर्कला की स्थापना की थी। हर साल 30 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच में शिवगिरी तीर्थयात्रा का आयोजन होता है।

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शिवगिरी मठ का क्या है महत्व, फोटो: शिवगिरी डॉट कॉम
मुख्य बातें
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 85वें शिवगिरी तीर्थ उत्‍सव में शामिल हो चुके हैं।
  • भारत जोड़ो यात्रा के दौरान शिवगिरी मठ गए।
  • एझावा समुदाय केरल की ओबीसी जाति है। जिसकी राज्य में करीब 22-23 फीसदी है।

Sivagiri Mutt: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बीते बुधवार को राहुल गांधी तिरुवनंतपुरम में समाज सुधारक नारायण गुरु को श्रद्धांजलि देने के लिए शिवगिरि मठ गए। इसके पहले गांधी परिवार से उनके पिता राजीव गांधी और मां सोनिया गांधी और दादी इंदिरा गांधी भी शिवगिरी मठ जा चुकी हैं। गांधी परिवार के लोगों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साल 2017 में शिवगिरी मठ जा चुके हैं। वर्कला का शिवगिरी मठ, केरल के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। 

श्री नारायण गुरू ने किया था स्थापित

19वीं सदी के महान संत और समाज सुधारक श्री नारायण गुरुदेव ने शिवगिरी मठ वर्कला की स्थापना की थी। हर साल 30 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच में शिवगिरी तीर्थयात्रा का आयोजन होता है। जिसे एझावा समुदाय के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। एझावा समुदाय केरल की ओबीसी जाति है। जिसकी राज्य में करीब 22-23 फीसदी है। जो कि एक हिंदू समुदाय है। इस समय केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन भी इसी समुदाय से आते हैं। केरल की चुनावी राजनीति में  एझावा समुदाय की भूमिका बेहद अहम होती है। इसीलिए सभी राजनीतिक दल उन्हें लुभाने की कोशिश करते रहते हैं। चाहे भाजपा हो  कांग्रेस और सीपीएम तीनों ही पार्टियां एझावा समुदाय को अपने पाले में लाने की कोशिश करती रहती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके पहले  31 दिसंबर 2017 को 85वें शिवगिरी तीर्थ उत्‍सव में शामिल हो चुके हैं। उस वक्त उन्होंने कहा था कि स्वामी नारायण गुरु जी जैसी पुण्य आत्मा ने भी जातिवाद, ऊंच-नीच, संप्रदायवाद के खिलाफ समाज को जगाया, समाज को एक किया। आज शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की बात हो,सामाजिक बुराइयों से मुक्ति की बात हो, छुवाछूत के खिलाफ समाज में नफरत का भाव हो,ये ऐसे ही नहीं हुआ है। हम कल्पना कर सकते है कि श्री नारायण गुरु को उस दौर में कितना परिश्रम करना पड़ा होगा, कितनी मुसीबतें उठानी पड़ी होंगी।

केरल में वामदलों की है सरकार

इस समय केरल में वामदलों की सरकार है। पिछले विधानसभा चुनाव (2021) में LDF को 99 सीटें मिली थी। जबकि कांग्रेस की अगुआई वाले गठबंधन UDF को 41 सीटें मिलीं थीं। इसमें से कांग्रेस को 21 सीटें मिली है। राज्य में कुल 140 विधानसभा सीटें हैैं। वहीं लोक सभा में 20 सीटें हैं। साल 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थी। जो किसी भी राज्य में कांग्रेस का 2019 के चुनाव में सबसे अच्छा प्रदर्शन था। इसलिए कांग्रेस ने अपनी 150 दिन की भारत जोड़ों यात्रा में 18 दिन केरल के लिए रखा है।

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