- केरल के दौरे पर राहुल गांधी ने उत्तर भारत में अपने राजनीतिक अनुभव के बारे में बताया था।
- राहुल गांधी के बयान पर विपक्ष के साथ उनकी पार्टी के लोगों ने दबी जुूबान असहमति जताई
- स्मृति ईरानी ने एहसान फरामोश तक करार दिया
नई दिल्ली। केरल के दौरे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि वो उत्तर भारत से 15 साल तक सांसद रहे और वहां की कार्यप्रणाली अलग थी। अब जबकि वो दक्षिण से सांसद है तो यहां की कार्य संस्कृति अलग है। हो सकता है कि उन्होंने कार्य प्रणाली को बेहतरीन तरीके से समझाने की कोशिश की हो। लेकिन उनका बयान कांग्रेस के लिए मुश्किल का कारण है। उनके उत्तर दक्षिण वाले बयान पर ना सिर्फ विपक्षी दल हमलावर हैं बल्कि कांग्रेस के अंदर भी सुगबुगाहट है। जी-23 के कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा दबे अंदाज में इस विषय पर बात रख चुके हैं।
गुजरात में कांग्रेस का नेतृत्व समाप्त
कांग्रेस नेतृत्व (राज्य में) समाप्त हो गया है। कांग्रेस खुद खत्म हो गई। लोग उन्हें विपक्ष होने के लायक भी नहीं समझते, अकेले रहने वाले को सत्ता में रहने दें। लोगों ने कांग्रेस को पूरी तरह से नकार दिया। कांग्रेस एक तरह हारी हुई बाजी लड़ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनता के मूड के खिलाफ जा रहे हैं और उसका खामियाजा पूरी पार्टी भुगत रही है।
लड़ाने वाली राजनीति को समझ चुकी है जनता
राहुल गांधी के बयान पर राज्यसभा के बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पतन के लिए इसी तरह के बयान जिम्मेदार हैं। सच यह है कि कांग्रेस दिखावे के लिए देश की एकता की बात करती रही है। लेकिन जमीन पर उसने लोगों को लड़ाने का काम किया और इस तरह की मनोवृत्ति की वजह से कांग्रेस को ये दिन देखने पड़ रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि इस समय कांग्रेस के सामने ओल्ड पीढ़ी बनाम न्यू पीढ़ी की परेशानी है। आप इसे ऐसे भी मान सकते हैं कि एक विचार पारंपरिक तौर पर मतदाताओं से जुड़ने की बात कह रहा है तो नई पीढ़ी को लगता है कि बीजेपी को उसी की भाषा में जवाब दिए जाने की जरूरत है। कांग्रेस की नीति संकट के पीछे सबसे बड़ी वजह यही है। राहुल गांधी जब कोई बयान देते हैं तो पार्टी के वरिष्ठ नेता उनके बयानों की हवा निकाल देते हैं।