- ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र पर हमारा 97,000 करोड़ रुपये बकाया है।
- राहुल गांधी बोले-केंद्र सरकार ईंधन का करीब 68 फीसदी टैक्स खुद लेती है। इसके बावजूद ईंधन की ऊंची कीमतों के लिए राज्य जिम्मेदार है।
- जीएसटी मुआवजे के तहत राज्यों का 78,704 करोड़ रुपये का बकाया है।
Petrol-Diesel Price: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्षी दलों पर हमला करने के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर राजनीति गरमा गई है। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री ने बुधवार को गैर शासित भाजपा राज्यों में सरकारों द्वारा VAT नहीं घटाने का आरोप लगाया, वहीं उनके बयान पर ममता बनर्जी , उद्धव ठाकरे से लेकर राहुल गांधी और पी.चिदंबरम ने हमला बोल दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र पर हमारा 97,000 करोड़ रुपये बकाया है। जिस दिन हमें इसकी आधी राशि भी मिल जाएगी, उसके अगले दिन हम पेट्रोल और डीजल पर 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देंगे।
वही पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने कटाक्ष करते हुए कहा है कि जिस दिन प्रधानमंत्री राज्यों पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़तोरी को लेकर ठीकरा फोड़ रहे थे। उसी दिन वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी है कि जीएसटी मुआवजे के तहत राज्यों का 78,704 करोड़ रुपये का बकाया है। उन्होंने यह भी कहा यह जानना दिलचस्प होगा कि वित्त मंत्रालय ने बकाए की राशि की जानकारी देने के लिए उसी दिन को क्यों चुना।
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ममता बनर्जी ने भाषण को गुमराह करने वाला बताया
इसके पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सब्सिडी देने के लिए पिछले तीन वर्षों में 1,500 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। हम पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर एक रुपये की सब्सिडी मुहैया कर रहे हैं। हमने इस पर 1,500 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। उन्होंने ईंधन की कीमतों में कटौती किए जाने की अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि केंद्र पर हमारा 97,000 करोड़ रुपये बकाया है। जिस दिन हमें इसकी आधी राशि भी मिल जाएगी, उसके अगले दिन हम पेट्रोल और डीजल पर 3,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देंगे। मुझे सब्सिडी से कोई समस्या नहीं है लेकिन मैं अपनी सरकार कैसे चलाउंगी?'
राहुल गांधी ने साधा निशाना
इस बीच प्रधानमंत्री के बयान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी निशाना साधा है। केंद्र सरकार ईंधन का करीब 68 फीसदी टैक्स खुद लेती है। इसके बावजूद ईंधन की ऊंची कीमतों के लिए राज्य जिम्मेदार है। कोयल की कमी के लिए राज्य जिम्मेदार हैं, ऑक्सीजनी की कमी के लिए राज्य जिम्मेदार हैं। मोदी का यह कोऑपटरेटिव फेडरलिज्म नहीं है। बल्कि यह जबरदस्ती का है।