- मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है
- नया राष्ट्रपति चुनने के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी और नतीजा 25 को आएगा
- संसद के सदस्य और विधानसभाओं के सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करते हैं
President Election 2022: चुनाव आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए तिथियों की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान 18 जुलाई को होंगे और नए राष्ट्रपति के नाम की घोषणा 21 जुलाई को होगी। मतों की गिनती दिल्ली में होगी जबकि मतदान संसद भवन एवं राज्यों की विधानसभाओं में होंगे। तारीखों की घोषणा करने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव की अहमियत, इसकी प्रक्रिया एवं वोट के वैल्यू के बारे में विस्तार से बताया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बार लोकसभा, राज्यसभा एवं विधानसभाओं के कुल 4,809 सदस्य नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। कोई भी राजनीतिक दल अपने सदस्यों को ह्विप जारी नहीं कर सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल लागू रहेंगे। 21 जुलाई को देश को 16वें राष्ट्रपति मिलेंगे। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई तक है।
राष्ट्रपति चुनाव की प्रमुख तारीखें
- नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि-29 जून
- नामांकन पत्र की जांच की अंतिम तिथि-30 जून
- उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि-2 जुलाई
- मतदान की तारीख-18 जुलाई
- वोटों की गिनती-21 जुलाई
ऐसे निकलता है सांसद एवं विधायक के वोट का मूल्य
एक विधायक के वोट का मूल्य निकालने के लिए राज्य की जनसंख्या को विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो आंकड़ा आता है उसे 1000 से भाग दिया जाता है। भाग देने पर जो आंकड़ा आया वह एक विधायक के वोट का वेटेज माना जाता है। फाइनल आंकड़ा यदि 500 से ज्यादा हुआ तो वेटेज में एक जोड़ा जाता है। सांसद के वोट का मूल्य सभी राज्यों के विधायकों के वोटों के कुल मूल्य में संसद सदस्यों का भाग दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या आती है वह सांसद के वोट का मूल्य होता है। यह मूल्य सदन की वर्तमान संख्या पर निर्भर करता है।
राष्ट्रपति चुनाव की तारीख का ऐलान, 18 जुलाई को वोटिंग, संसद भवन और विधानसभा में होगा मतदान
ऐसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल करता है। निर्वाचक मंडल के बारे में संविधान के अनुच्छेद 54 में बताया गया है। इस चुनाव में सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य, लोकसभा तथा राज्यसभा में चुनकर आए सांसद वोट डालते हैं। राष्ट्रपति की ओर से संसद में मनोनीत सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है। राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग नहीं करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनका जनता द्वारा न चुना जाना है।