- आज शाम पांच बजे देशवासियों को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
- देश में कोरोना संकट और इसकी चुनौतियों पर रख सकते हैं अपनी बात
- गत शुकवार को पीएम ने वैज्ञानिकों से बात की, उनके योगदान को सराहा
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम पांच बजे देश को संबोधित करेंगे। पीएम का यह संबोधन कोरोना महामारी एवं उसकी चुनौतियों पर केंद्रित हो सकता है। दरअसल, सोमवार यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन में ढील दी है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री लोगों से कोविड-19 से जुड़ा प्रोटोकॉल पालन करने की अपील कर सकते हैं। प्रधानमंत्री का यह संबोधन ऐसे समय होने जा रहा है जब देश में बीते दो महीने में संक्रमण के मामलों में एक दिन में रिकॉर्ड कमी आई है। कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों में भी कमी आनी शुरू हुई है।
देश में संक्रमण एवं मौत की संख्या में आ रही कमी
देश में कोरोना के संक्रिय मरीजों की संख्या अभी 14 लाख के करीब है। अपने संबोधन में पीएम टीकाकरण अभियान एवं टीकों की बर्बादी पर अपनी बात रख सकते हैं। वह लोगों से लॉकडाउन से मिली छूट के बावजूद मास्क पहनने, सोशल डिस्टैंसिंग एवं कोविड उचित व्यवहार का पालन करने का अनुरोध कर सकते हैं। कोरोना संकट एवं उसकी चुनौतियों से निपटने के लिए पीएम मोदी ने हाल के दिनों में कई अहम बैठकें की हैं।
बीते 24 घंटे में संक्रमण के 1,00,636 केस मिले
सोमवार को बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1,00,636 केस सामने आए। यह बीते 61 दिनों में एक दिन का सर्वाधिक कम आंकड़ा है। इसके साथ ही देश में कोरोना संक्रमण की कुल संख्या 2,89,09,975 हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 24 घंटे में कोरोना से 2,427 लोगों की मौत हुई। यह बीते 45 दिनों में एक दिन का सबसे कम आंकड़ा है। देश में कोरोना महामारी से अब तक 3,49,186 लोगों की जान जा चुकी है।
गत शुक्रवार को पीएम ने वैज्ञानिकों से बात की
गत शुक्रवार को पीएम ने देश के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने स्वदेशी कोरोना वैक्सीन बनाने एवं महामारी से लड़ने के लिए वैज्ञानिक सोच एवं तरीका विकसित करने पर उन्हें बधाई दी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीएसआईआर की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश के वैज्ञानिक अपने समकक्षों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि पहले दुनिया में होने वाले अविष्कारों नई तकनीक को हासिल करने के लिए देश के वैज्ञानिकों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।