- मजदूरों के लिए कांग्रेस ने एक हजार बस का प्रस्ताव दिया था।
- यूपी सरकार की तरफ से सोमवार देर रात को आधिकारिक मंजूरी मिली
- बसों को लखनऊ भेजे जाने की मांग पर प्रियंका गांधी बिफरीं
नई दिल्ली। अब कोरोना के साथ ही जीना है, इस मूलमंत्र के साथ अब सरकारों ने आगे बढ़ने का फैसला किया है। अलग अलग राज्य सरकारों ने आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दे दी है। लेकिन सड़कों पर प्रवासी मजदूरों का रेला और हादसे एक नई सच्चाई को भी बयां कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। लेकिन रेला ऐसा कि प्रशासन को भी दिक्कत हो रही है। इन सबके बीच यूपी सरकार ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जिसमें 1 हजार बस को भेजने की बात थी। लेकिन कुछ खास वजह से प्रियंका गांधी योगी सरकार से नाराज है। यहां जानने की कोशिश करते हैं कि प्रियंका क्यों खफा है।
बसों पर सियासत
दरअसल यूपी सरकार ने कहा कि वो 1000 बसों के प्रस्ताव को स्वीकार करती है। चालकों और परिचालकों की जानकारी मुहैया कराते हुए बसों को लखनऊ भेजा जाए। अब इस संबंध में प्रियंका गांधी ने सरकार के एजिश्नल चीफ सेक्रेटरी होम को खत लिखा। वो कहती हैं कि बीती रात आप के यहां से बसों के प्रस्ताव को स्वीकार करने का पत्र मिला और यह कहा गया है कि मंगलवार को सुबह 10 बजे सभी बसों को लखनऊ भेजवा दिया जाए। क्या यह व्यवहारिक तौर पर संभव है। सबसे बड़ी बात यह है कि जब मजदूर गाजियाबाद और नोएडा में हैं तो बसों को लखनऊ भेजे जाने का तुक आखिर क्या है।
प्रियंका गांधी का है यह जवाब
प्रियंका गांधी ने एडिश्नल चीफ सेक्रेटरी होम अवनीश अवस्थी को लिखे खत में कहा कि आप तो वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी हैं। आप जानते हैं कि ज्यादातर मजदूर दिल्ली यूपी बॉर्डर पर फंसे हुए हैं, ऐसे में बसों को लखनऊ मंगाने की वजह समझ के बाहर है। आप रात में खत भेजते हैं और कहते हैं कि 12 घंटे के अंदर कागजात के साथ बसों को लखनऊ भेज दें। यह व्यवाहारिक समझ से परे है।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने साधा था निशाना
प्रियंका गांधी के प्रस्ताव पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने निशाना साधते हुए कहा था कि सबसे पहले तो उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों के बारे में सोचना चाहिए था। यूपी में जो सड़क हादसे हुए थे आखिर वो लोग राजस्थान और पंजाब से आ रहे थे। सबसे पहले उन्हें अपने प्रदेशों में मजदूरों के बारे में विचार करने की जरूरत है, हालांकि सियासी आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच यूपी सरकार की तरफ से बसों को मंजूरी दे दी गई।