- गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
- इन घटनाओं में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए, 25 प्राथमिकी दर्ज और 19 गिरफ्तार
- राकेट टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर सहित किसान नेताओं पर दर्ज हुए केस
नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले सहित राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा एवं उपद्रव की घटना ने किसान आंदोलन का समर्थन कम होने लगा है। हिंसा से आहत होकर किसान संगठन आंदोलन से खुद को अलग करने लगे हैं। हरियाणा के धारूहेड़ा में करीब 45 दिनों से धरने पर बैठे किसानों ने धरनास्थल खाली कर वापस शाहजहांपुर लौट आए हैं। बुधवार को ‘ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी’ और चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने अपना धरना वापस ले लिया। गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई है। दिल्ली पुलिस ने इनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया है।
सिंघु बॉर्डर खाली कराने के लिए आगे आए स्थानीय लोग, हिंसा के खिलाफ नारेबाजी की
गणतंत्र दिवस के दिन किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा एवं उत्पात के खिलाफ सिंघु बॉर्डर के स्थानीय लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। गुरुवार को स्थानीय लोग सिंघु बॉर्डर पर जारी धरने के खिलाफ नारेबाजी की। खुद को स्थानीय होने का दावा करने वाले लोग 'तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान...भारत की माता की जय और जय श्री राम और सिंघु बॉर्डर खाली करो, खाली करो' जैसे नारे लगा रहे थे।
गृह मंत्री ने जाना घायल पुलिसकर्मियों का हाल
गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा एवं उत्पात के दौरान 394 पुलिसकर्मा घायल हुए हैं। इन पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को सिविल लाइंस स्थित शुश्रुता ट्रामा सेंटर पहुंचकर घायल पुलिसकर्मियों का हाल-चाल जाना।
किसान नेताओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी
किसान नेताओं को नोटिस जारी किए जान के बाद दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ अपनी कार्रवाई और तेज करते दिख रही है। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली पुलिस किसान नेताओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कराने की कवायद में जुट गई है। यही नहीं, इन नेताओं के पासपोर्ट भी जब्त किए जा सकते हैं। बता दें कि 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज हुई है।
योगेंद्र यादव सहित 20 किसान नेताओं को नोटिस
गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान सहमति का उल्लंघन करने के लिए दिल्ली पुलिस ने योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह सिरसा, बलबीर एस राजेवाल सहित कम से कम 20 किसान नेताओं को नोटिस जारी किया है। दिल्ली पुलिस से कमिश्नर का कहना है कि किसान संगठनों ने पुलिस के साथ 'विश्वासघात' किया और उन्होंने पहले तय शर्तों का पालन नहीं किया।
दिल्ली से गाजियाबाद को जोड़ने वाला एनएच-24 खुला
दिल्ली यातायात पुलिस का कहना है कि दिल्ली से गाजियाबाद को जोड़ने वाले राजमार्ग-24 को खोल दिया गया है। गुरुवार सुबह इस मार्ग पर यातायात सामान्य दिखाई दिया। लाल किले पर आज भी सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी है। लाल किले के चारो तरफ सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। टिकरी बॉर्डर पर भी सुरक्षा कड़ी की गई है। यहां पिछले दो महीने से किसान धरने पर बैठे हैं।
दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग से हटाए गए किसान
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-सहारनपुर राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बागपत पुलिस ने हटा दिया है। बागपत के एडीएम अमित कुमार सिंह ने बताया कि एनएचएआई ने मार्ग से किसानों को हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि प्रदर्शन की वजह से उसके निर्माण कार्य में देरी हो रही थी। प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक वहां से हटा दिया गया है।
दीप, लक्खा सिधाना के खिलाफ एफआईआर, सिद्धू का FB पोस्ट
लाल किले पर हिंसा एवं उत्पात मामले में दिल्ली पुलिस ने पंजाबी अभिनेता एवं गायक दीप सिद्धू और गैंगस्टर से सोशल एक्टिविस्ट बने लक्खा सिधाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। दिल्ली पुलिस का कहना है उसने इन दोनों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि हिंसा माममले में सिद्धू की संलिप्तता उजागर हुई है। अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद सिद्धू ने रात के दो बजे अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उसने कहा है कि किसान नेताओं ने वादा किया था कि वे दिल्ली की तरफ मार्च करेंगे। हमने जब मार्च शुरू किया तो तय मार्ग पर केवल तीन हजार लोग थे बाकी सभी लाल किला की तरफ रवाना हो गए।
उपद्रवियों के उत्पात के बाद कम हुआ किसानों का समर्थन
गणतंत्र दिवस के दिन लालकिला, आईटीओ सहित दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में उपद्रवियों की हिंसा एवं उत्पात की तस्वीरें एवं वीडियो सामने आने लगे हैं। वीडियो एवं तस्वीरों से जाहिर है कि उपद्रवियों ने दिल्ली पुलिस के जवानों पर बर्बरता पूर्वक हमले किए। यहां तक कि उन्होंने एक जगह पर महिला कांस्टेबल को भी नहीं बख्शा। लाल किले पर प्रदर्शनकारियों ने भारी बवाल किया। यहां लाल किले की प्राचीर पर उन्होंने निशान साहिब का झंडा फहराया और वहां तोड़फोड़ करते हुए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना के बाद किसान आंदोलन अपना समर्थन खोता दिख रहा है। लोग इस आंदोलन पर सवाल खड़े करने लगे हैं।
हिंसा में शामिल थे किसान नेता : दिल्ली पुलिस आयुक्त
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को आरोप लगाया कि मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान किसान नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए और हिंसा में भी शामिल रहे। इसके साथ ही पुलिस ने जोर दिया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इन घटनाओं में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए। दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसान यूनियनों ने ट्रैक्टर परेड के लिए तय शर्तों का पालन नहीं किया। परेड दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे के बीच होनी थी और उसमें 5,000 टैक्टरों को शामिल होना था। श्रीवास्तव ने कहा, ‘पुलिस के पास कई विकल्प थे लेकिन वह संयत रही। हमने हालात को सही तरीके से संभाला इसलिए ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा में पुलिस की कार्रवाई में कोई जनहानि नहीं हुई।’उन्होंने बताया कि अभी तक 25 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 50 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है।’