- 5 राफेल विमान अंबाला वायुसेना अड्डे पर सुरक्षित तरीके से उतरे
- फ्रांस से 23 सितंबर 2016 को हुई थी 36 राफेल विमानों के लिए डील
- उस समय मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री थी, पिछले साल हो गया निधन
नई दिल्ली: 27 जुलाई को फ्रांस से चले 5 राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच गए हैं। इस खास मौके पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को याद किया। दरअसल, 4 साल पहले 23 सितंबर 2016 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ही फ्रांस के साथ राफेल डील पर साइन किए थे। अब जब राफेल विमानों की पहली खेप भारत आ चुकी है तो इस मौके पर स्मृति ईरानी ने उन्हें याद किया है। स्मृति ईरानी ने मनोहर पर्रिकर के 4 साल पुराने ट्वीट पर लिखा, 'आज भाई की याद आ रही है।'
सौदे के दिन पर्रिकर ने ट्वीट किया था, 'भारत और फ्रांस ने 36 राफेल जेट विमानों के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। राफेल भारत की हमला और रक्षा क्षमताओं में काफी सुधार करेगा।' फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था। पिछले साल 17 मार्च 2019 को गोवा के मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का निधन हो गया था।
2021 तक आ जाएंगे सभी 36 राफेल
इसमें से भारत को 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है, जिनमें से पांच प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुक रहे हैं। सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी। बुधवार को अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जिसे 'गोल्डन एरोज' के नाम से भी जाना जाता है।
फ्रांस से सोमवार को उड़ान भरने के बाद इन पांचों विमानों का बेड़ा अंबाला तक के 7,000 किलोमीटर लंबे सफर के बीच, सिर्फ एक बार संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल दाफ्रा एयरबेस पर उतरा।
राजनाथ सिंह ने दुश्मनों को चेताया
राफेल विमानों के भारत आने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया कि राफेल विमानों के भारत आगमन के साथ ही भारतीय सैन्य इतिहास का नया युग शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि इससे वायुसेना को देश के सामने आने वाली किसी भी चुनौती का दृढ़ता से विफल करने में मदद मिलेगी। जो हमारी कअखंडता को चुनौती देने की मंशा रखते हैं, उन्हें भारतीय वायुसेना की इस नई क्षमता से चिंतित होना चाहिए।'