- नागरिकता संशोधन विधेयक पर राहुल गांधी ने दी प्रतिक्रिया
- कांग्रेस सांसद बोले-देश की बुनियाद नष्ट करने की हो रही कोशिश
- लोकसभा में सोमवार को पारित हुआ यह विधेयक, अब राज्यसभा में होगा पेश
नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने नागरिकता संशोधन विधयेक पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए इस बिल का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों पर भी हमला बोला है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस विधेयक का समर्थन करने वाली पार्टियां भारत की बुनियाद को नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं। लोकसभा में यह विधेयक पारित हो चुका है और अब इस विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है और वहां यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में विपक्ष इस बिल पर अड़ंगा डाल सकता है।
राहुल ने अपने एक ट्वीट में कहा, 'नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान पर हमला है। कोई भी जो इस विधेयक का समर्थन कर रहा है, वह हमारे देश की बुनियाद नष्ट करने का प्रयास और इस पर हमला कर रहा है।'
इसके पहले राहुल की बहन प्रियंका गांधी ने इस विधेयक की यह कहते हुए आलोचना की कि यह विधेयक उस आजादी को चुनौती दे रहा है 'जिसे हमारे पूर्वजों ने अपना खून देकर सींचा।' बता दें कि सोमवार को लंबी बहस के बाद सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हुआ। कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी सहित अन्य राजनीतिक दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर विपक्ष के सवालों एवं आपत्तियों का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, 'अब तक इन लोगों ने बहुत कष्ट सहा है लेकिन मोदी सरकार इस बिल के जरिए उनका सम्मान करेगी।'
गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने के पीछे सरकार की कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पार्टी धार्मिक आधार पर देश का बंटवारा करने के लिए यदि राजी नहीं हुई होती तो यह विधेयक लाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के बारे में विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है और उन्हें डरा रहा है। गृह मंत्री ने कहा, 'देश के मुसलमानों को इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है और उन्हें इस विधयेक से कोई लेना-देना नहीं है।'
सरकार इन तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक रूप से प्रताड़ित होकर भारत में शरण के लिए आने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन कर रही है। वहीं, विपक्ष का कहना है कि यह विधयेक अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है और इसलिए अंसवैधानिक है।