- राहुल गांधी ने बीजेपी और व्हाट्सऐप के बीच साठगांठ का आरोप लगाया
- व्हाट्सऐप भारत में पेमेंट बैंक के क्षेत्र में उतरना चाहता है, 40 करोड़ भारतीयों पर नजर
- पेमेंट बैंक की चाहत में व्हाट्सऐप और फेसबुक हेट स्पीच को दे रहे हैं बढ़ावा
नई दिल्ली। सियासत की पिच पर अगर विपक्ष गूगली या यॉर्कर का इस्तेमाल न करे तो उसकी भूमिका गौड़ हो जाती है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इसी तर्ज पर अपनी पार्टी को गौड़ होने से बचाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। कभी वो अर्थव्यवस्था तो कभी कोरोना तो कभी चीन के मुद्दे पर सवाल जवाब करते हैं। लेकिन अब वो व्हाट्सऐप के मुद्दे पर सवाल कर रहे हैं। वो कहते व्हाट्सऐप पेमेंट बैंक बनना चाहता है और उसका बीजेपी के साथ साठगांठ है।
टाइम पत्रिका के जरिए राहुल गांधी ने साझा निशाना
टाइम पत्रिका की एक रिपोर्ट जिक्र करते हुए राहुल गांधी कहते हैं कि भारत में करीब 40 करोड़ लोग व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं। इन सबके बीच. व्हाट्सऐप चाहता है कि इस प्लेटफॉर्म का फायजा भारत में रुपयों के भुगतान के लिए भी किया जाए यानि पेमेंट बैंक्स के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके और इसके लिए केंद्र सरकार के मदद की जरूरत होगी। एक तरफ व्हाट्सऐप की अपनी जरूरत है और इस वजह से बीजेपी का उसके ऊपर अधिकार है।
पेमेंट बैंक बनने की ख्वाहिश में व्हाट्सऐप
टाइम पत्रिका की एक रिपोर्ट में भारत में फेसबुक और व्हाट्सऐप के बिजनेस और हेट स्पीच के मुद्दे को आपस में जोड़ा गया है। टाइम पत्रिका की इस रिपोर्ट का शीर्षक है भारत की सत्ताधारी पार्टी से फेसबुक के संबंध हेट स्पीच से इसकी लड़ाई में बाधा पैदा करते हैं।इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह व्हाट्सऐप अब आर्थिक कारोबार में भी किस्मत आजमाना चाहता है।
भारत में 40 करोड़ लोग व्हाट्सऐप का करते हैं इस्तेमाल
भारत फेसबुक का सबसे बड़ा मार्केट करीब 33 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जबकि व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 40 करोड़ है।इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि इन दोनों प्लेटफॉर्म के जरिए कई बार हेट स्पीच फैलाने के लिए किया जाता है।कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी ने कहा था कि हम कभी भी फेक न्यूज, हेट स्पीच और पक्षपात के जरिए मेहनत से पाए गए लोकतंत्र को नुकसान पहुंचने नहीं देंगे। वॉल स्ट्रीट जनरल के खुलासे पर हर भारतीय को सवाल पूछना चाहिए। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 14 अगस्त को अपने खुलासे में कहा था कि फेसबुक ने बीजेपी नेताओं के भड़काऊ भाषण पर इसलिए कार्रवाई नहीं की थी क्योंकि इससे उसे भारत में अपने व्यापार पर असर पड़ने की आशंका थी।